गुरुवार, 17 मई 2018

 क्या मल्लिकार्जुन खगड़े को लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता 
का दर्जा इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि वे अनुसूचित 
जाति के हैं ?
  यह आरोप सच नहीं है।सच यह है कि दर्जा पाने की कानूनी शर्त वे पूरी नहीं करते।
फिर भी कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने यही आरोप लगाया है।
 शर्मा को लगता है कि जातीय आधार वाले आरोप से कर्नाटका के चुनाव में कांग्रेस को लाभ मिलेगा।
  क्या झूठे आरोप से भी लाभ मिलता है ?
जो व्यक्ति कम से कम 55 सांसदों वाले दल  का नेता होगा,उसे ही वह पद मिलेगा।यानी सदन के सदस्यों की कुल संख्या के दसवंें हिस्से का नेता।
पर कांग्रेस यह शत्र्त पूरी नहीं करती।उसके पास उससे कम सदस्य हैं।फिर भी उसे वह पद चाहिए।
क्योंकि उस पद को कई तरह की सुविधाएं हासिल हैं।
  तत्संबंधी कानून 1977 में बना था।उसके बाद कई बार कांग्रेस सत्ता मंे आई।उसे उस कानून को बदलवा देना चाहिए था।
ताकि, कम सदस्यों वालों को भी दर्जा मिल सके।पर उसे तो लगता था कि वह कभी कम सीटें जीतेगी ही नहीं।इसलिए प्रतिपक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए क्यों कानून बदला जाए।
पर जब गत चुनाव में कांग्रेस 44 सीटों पर ही सिमट गयी तो उसने दलित कार्ड खेलना शुरू कर दिया।
  सोनिया गांधी ने हाल में यह आरोप लगाया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी गलत ऐतिहासिक तथ्य पेश कर रहे हैं।
सोनिया गांधी के आरोप में दम है।
पर स्वस्थ राजनीति के हक में  खुद कांग्रेस भी तो गलत आरोप न लगाए।  

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