यह प्रसंग स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चैधरी की पुत्री की शादी के अवसर का है।
तब वे बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री थे।कैबिनेट मंत्री तो वे 1937 में भी थे।
उनकी सरकार ने हाल में गेस्ट कंट्रोल एक्ट पास किया था।
उस कानून के अनुसार अत्यंत सीमित संख्या में ही अतिथियों को ही बुलाने का नियम बनाया गया ।चैधरी जी के यहां बारात आई।उतने ही लोगों का खाना बना ।
पर,बिना बुलाए कई अन्य अतिथि आ गए।
नतीजतन खुद चैधरी जी के परिवार को उस रात भोजन नहीं मिला।चैधरी जी ने अतिरिक्त भोजन नहीं बनने दिया था।
शादी को सम्मेलन बनाने वाले नेताओं के आज के दौर में
जगलाल चैधरी याद आते हैं।हालांकि गेस्ट कंट्रोल एक्ट आज भी लागू है ,पर सिर्फ कागज पर।
मेरी राय में ऐसे कानून को समाप्त ही कर देना चाहिए जो कानून आप लागू नहीं कर सकते।
कोई कानून मौजूद है और उसे लोग रोज टूटते हुए देख रहे हैंं तो यह देख कर अन्य तरह के कानून तोड़कों को बढ़ावा ही मिलता है।
हालांकि गेस्ट कंट्रोल एक्ट बिहार के बाहर अधिक टूटता है।जो लोग कानून का पालन करने के लिए बहाल होते हैं,उनके सामने भी टूटता है।
बिहार में भी सामान्य लोग समाज के दबाव में निर्धारित अतिथियों से अधिक अतिथि शादी-ब्याह में बुलाते है।अमीर लोग अपने पैसों के प्रदर्शन के लिए ऐसा करते हैं।नेता लोग अपने यहां की शादियों में अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए हजारों लोगों को बुला लेते हैं।
तब वे बिहार सरकार के कैबिनेट मंत्री थे।कैबिनेट मंत्री तो वे 1937 में भी थे।
उनकी सरकार ने हाल में गेस्ट कंट्रोल एक्ट पास किया था।
उस कानून के अनुसार अत्यंत सीमित संख्या में ही अतिथियों को ही बुलाने का नियम बनाया गया ।चैधरी जी के यहां बारात आई।उतने ही लोगों का खाना बना ।
पर,बिना बुलाए कई अन्य अतिथि आ गए।
नतीजतन खुद चैधरी जी के परिवार को उस रात भोजन नहीं मिला।चैधरी जी ने अतिरिक्त भोजन नहीं बनने दिया था।
शादी को सम्मेलन बनाने वाले नेताओं के आज के दौर में
जगलाल चैधरी याद आते हैं।हालांकि गेस्ट कंट्रोल एक्ट आज भी लागू है ,पर सिर्फ कागज पर।
मेरी राय में ऐसे कानून को समाप्त ही कर देना चाहिए जो कानून आप लागू नहीं कर सकते।
कोई कानून मौजूद है और उसे लोग रोज टूटते हुए देख रहे हैंं तो यह देख कर अन्य तरह के कानून तोड़कों को बढ़ावा ही मिलता है।
हालांकि गेस्ट कंट्रोल एक्ट बिहार के बाहर अधिक टूटता है।जो लोग कानून का पालन करने के लिए बहाल होते हैं,उनके सामने भी टूटता है।
बिहार में भी सामान्य लोग समाज के दबाव में निर्धारित अतिथियों से अधिक अतिथि शादी-ब्याह में बुलाते है।अमीर लोग अपने पैसों के प्रदर्शन के लिए ऐसा करते हैं।नेता लोग अपने यहां की शादियों में अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने के लिए हजारों लोगों को बुला लेते हैं।
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