26 नवंबर, 2008 को मुम्बई पर हुए आतंकी हमले पर अजीज बर्नी ने एक पुस्तक लिखी है ।उसका नाम है --‘ 26-11 आर.एस.एस.की साजिश।’
उसका लोकार्पण कांग्रेस महा सचिव दिग्विजय सिंह ने 6 दिसंबर, 2010 को दिल्ली में किया।
पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट है कि उसमें क्या लिखा गया है।
उधर पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के अंगेजी दैनिक डाॅन से बातचीत में कहा है कि ‘हमारे यहां हथियारबंद गुट मौजूद हैं।आप उन्हें नाॅन स्टेट एक्टर कह लें।
क्या ऐसे गुटों को बार्डर क्रास करने देना चाहिए कि वे मुम्बई जाकर डेढ़ सौ लोगों को मार दें ?
समझाएं मुझे ! हम इसी कोशिश में थे।
हम दुनिया से कट के रह गए हैं।हमारी बात नहीं सुनी जाती।’
एक तरफ भारत के दिग्विजय सिंह व अजीज बर्नी कह रहे हैं कि 2008 के मुम्बई हमले में आर.एस.एस.का हाथ है और दूसरी ओर नवाज शरीफ पाकिस्तान सरकार की शह पाए नाॅन स्टेट एक्टर्स को उसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।ताजा खबर यह है कि दबाव के बावजूद नवाज अपने बयान पर कायम हैं।
फिर भी कांग्रेस दिग्विजय सिंह को पार्टी से निलंबित भी नहीं करती है।
इसी तरह जब अमेरिका के वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर 2001 में आतंकियों ने हवाई हमले किए तो भारत के कई भाजपा विरोधी लोगों ने अखबारों में लेख लिख कर यह साबित करने की कोशिश की कि उस दिन वल्र्ड ट्रेड सेंटर से सारे यहूदी कर्मचारी अनुपस्थित थे।यानी यहूदियों ने ही हमला किया था।
ऐसे एकाध लेख मेरे पास भी है।
जबकि दूसरी ओर 27 अक्तूबर 2001 को ओसामा बिन लादेन का एक टेप सामने आया जिसमंे उसे यह कहते हुए दुनिया ने देखा कि ‘अमेरिका के खिलाफ हमले की तारीफ होनी चाहिए।क्यांेकि वह इस्लाम का दुश्मन है और इजरायल की मदद करता है।’
दिल्ली के बाटला हाउस में पुलिस के साथ आतंकियों की मुंठभेड़ की घटना के बाद कुछ बड़े कांग्रेसी नेताआंे ने उसे नकली बताया।जबकि खुद मन मोहन सरकार की पुलिस ने उसे आतंकियों के साथ पुलिस मुडभेड़ बताया।
उस कांड में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर शंका उठाने वाले कांग्रेसियों के खिलाफ कांग्रेस हाई कमान ने कोई कार्रवाई नहीं की।
2002 में गोधरा में 50 से अधिक कार सेवकों को जिंदा जला दिया गया।
भाजपा विरोधियों नेताओं ने कहा कि ट्रेन दहन के लिए खुद कार सेवक ही जिम्मेदार थे।
दूसरी ओर सी.बी.आई.ने जांच करके असली हत्यारों को सजा दिलवाई।
ऐसे कई अन्य उदाहरण समय -समय पर सामने आते रहते हैं।मणि शंकर अययर समय -समय पर अपनी ‘प्रतिभा’ का प्रदर्शन करतेे ही रहते हैं।
ऐसे में भाजपा का जन समर्थन बढ़ेगा या घटेगा ? यानी भाजपा के असली दोस्त व मददगार कौन साबित हो रहे हैं ?
उसका लोकार्पण कांग्रेस महा सचिव दिग्विजय सिंह ने 6 दिसंबर, 2010 को दिल्ली में किया।
पुस्तक के नाम से ही स्पष्ट है कि उसमें क्या लिखा गया है।
उधर पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के अंगेजी दैनिक डाॅन से बातचीत में कहा है कि ‘हमारे यहां हथियारबंद गुट मौजूद हैं।आप उन्हें नाॅन स्टेट एक्टर कह लें।
क्या ऐसे गुटों को बार्डर क्रास करने देना चाहिए कि वे मुम्बई जाकर डेढ़ सौ लोगों को मार दें ?
समझाएं मुझे ! हम इसी कोशिश में थे।
हम दुनिया से कट के रह गए हैं।हमारी बात नहीं सुनी जाती।’
एक तरफ भारत के दिग्विजय सिंह व अजीज बर्नी कह रहे हैं कि 2008 के मुम्बई हमले में आर.एस.एस.का हाथ है और दूसरी ओर नवाज शरीफ पाकिस्तान सरकार की शह पाए नाॅन स्टेट एक्टर्स को उसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।ताजा खबर यह है कि दबाव के बावजूद नवाज अपने बयान पर कायम हैं।
फिर भी कांग्रेस दिग्विजय सिंह को पार्टी से निलंबित भी नहीं करती है।
इसी तरह जब अमेरिका के वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर 2001 में आतंकियों ने हवाई हमले किए तो भारत के कई भाजपा विरोधी लोगों ने अखबारों में लेख लिख कर यह साबित करने की कोशिश की कि उस दिन वल्र्ड ट्रेड सेंटर से सारे यहूदी कर्मचारी अनुपस्थित थे।यानी यहूदियों ने ही हमला किया था।
ऐसे एकाध लेख मेरे पास भी है।
जबकि दूसरी ओर 27 अक्तूबर 2001 को ओसामा बिन लादेन का एक टेप सामने आया जिसमंे उसे यह कहते हुए दुनिया ने देखा कि ‘अमेरिका के खिलाफ हमले की तारीफ होनी चाहिए।क्यांेकि वह इस्लाम का दुश्मन है और इजरायल की मदद करता है।’
दिल्ली के बाटला हाउस में पुलिस के साथ आतंकियों की मुंठभेड़ की घटना के बाद कुछ बड़े कांग्रेसी नेताआंे ने उसे नकली बताया।जबकि खुद मन मोहन सरकार की पुलिस ने उसे आतंकियों के साथ पुलिस मुडभेड़ बताया।
उस कांड में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर शंका उठाने वाले कांग्रेसियों के खिलाफ कांग्रेस हाई कमान ने कोई कार्रवाई नहीं की।
2002 में गोधरा में 50 से अधिक कार सेवकों को जिंदा जला दिया गया।
भाजपा विरोधियों नेताओं ने कहा कि ट्रेन दहन के लिए खुद कार सेवक ही जिम्मेदार थे।
दूसरी ओर सी.बी.आई.ने जांच करके असली हत्यारों को सजा दिलवाई।
ऐसे कई अन्य उदाहरण समय -समय पर सामने आते रहते हैं।मणि शंकर अययर समय -समय पर अपनी ‘प्रतिभा’ का प्रदर्शन करतेे ही रहते हैं।
ऐसे में भाजपा का जन समर्थन बढ़ेगा या घटेगा ? यानी भाजपा के असली दोस्त व मददगार कौन साबित हो रहे हैं ?
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