गुरुवार, 24 मई 2018

  केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरीय सचिवालय सहायक को
हाल में जोध पुर के एक होटल से गिरफ्तार किया गया।
उस पर  पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों 
से रिश्वत लेने का आरोप है।
  मन मोहन सरकार ने पाक में ‘जेहादियों’ के सितम से परेशान होकर भारत में आए 12 हजार 100 हिंदू शरणार्थियों को लंबी अवधि के लिए वीसा दिया था।वे राजस्थान में बसे हुए हैं।
तब से यह काम जारी है।क्योंकि नये शरणार्थी भी आते रहते हैं।
  इसके लिए केंद्र सरकार  के अफसर राजस्थान जाते रहते हैं ।उन में से कुछ अफसर उन दीन-हीन-बेबस-परेशान शरणार्थियों का काम भी तभी करते हैं जब उन्हें रिश्वत मिलती है।
  इन भ्रष्ट गिद्धों को किस्मत के मारे शरणार्थियों पर भी कोई दया नहीं आती।
जब उन पर भी दया नहीं आती तो यहां के लोगों के साथ ये गिद्ध गण कैसा व्यवहार करते हैं,उनकी कल्पना आसान है।
 लोगबाग देख ही रहे हैं।झेल भी रहे हैं। दरअसल इस पूरे देश भर के भ्रष्ट अफसरों व कर्मचारियों का कमोवेश यही हाल है।अधिकतर सरकारी
सेवक,  सेवा को अधिकार मान कर  सरकारी आदेशों को बेचते रहते हैं।
बिहार सहित देश के किस हिस्से के अधिकारी-कर्मचारी बिना रिश्वत का जनता का काम निःशुल्क  कर देते हैं,यह जानने में मुझे रूचि रहती है।
किसी को उस  पवित्र स्थान का पता हो तो लोगों को जाकर  वहां फूल चढ़ाना चाहिए।क्योंकि मैं मानता हूं कि ईमानदार अफसर व कर्मचारी अब भी जहां -तहां मौजूद हैं। सत्ताधारी नेताओं के बीच भी कुछ ईमानदार लोग हैं। पर वे आम तौर पर निर्णायक नहीं हो पा रहे हैं।
  जोध पुर की घटना सुन-जानकर एक बार फिर यह विचार मन में आया कि क्यों नहीं इस देश के आदर्शवादी और उत्साही नौजवान अखिल भारतीय स्तर पर स्टिंग आपरेशन दस्ते बना रहे हैं ?
 वे दस्ते ऐसे भ्रष्ट कर्मियों का स्टिंग करंे और  जनता के बीच उनका भंडाफोड़ करंे ? अब तो सोशल मीडिया भी ताकतवर होता जा रहा है।
  इस काम में खतरा तो जरूर है। पर आज यदि कोई ईमानदारी से राजनीति भी करता है तो उसमें भी खतरा है।
आर. टी. आई. कार्यकत्र्ताओं की हत्याओं की खबरें भी मिलती रहती हैं।फिर भी सूचना के अधिकार के क्षेत्र में काम बंद नहीं हुआ है। 
 आजादी की लड़ाई के दिनों में क्या स्वतंत्रता सेनानियों के समक्ष कम खतरे थे ?
मेरा मानना है कि इस स्टिंग आपरेशन के काम में जो लोग ईमानदारी से लगेंगे और बने रहेंगे तो उन्हें देर- सवेर जनता हाथों- हाथ लेगी।यदि वे चुनावी राजनीति भी करना चाहेंगे तो वंशवादी ,जातिवादी,सम्प्रदायवादी तथा धन पशु उम्मीदवारों को भी देर -सवेर वे मात दे सकते हैं। 




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