शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2019

  बात उस समय की है जब आंध्र प्रदेश की राजनीति में
‘तेलुगु बिड्डा’ एन.टी.रामा राव का उदय हुआ था।
इनाडु मीडिया समूह ने एनटीआर के स्वर मेें स्वर में मिलाकर तेलुगु स्वाभिमान को जगाया और एनटीआर की सरकार बनी।
मेरी खबर के अनुसार एनटीआर के साथ-साथ तेलुगु अखबार इनाडु का सर्कुलेशन भी काफी  बढ़ गया था।
  उसके कई साल बाद उत्तर  के एक राज्य के एक अखबार के प्रधान संपादक चिंतित थे कि उनका अखबार तो स्थानीय सरकार के अच्छे कामों की खबरें खूब छाप रहा है,पर क्या यह सब पाठकों को अच्छा लग रहा होगा ?
  मैंने उनसे पूछा कि आपके अखबार का प्रसार बढ़ रहा है या घट रहा है ?
उन्होंने कहा कि वह तो बहुत बढ़ रहा है।
फिर मैंने कहा कि फिर क्या चिंता है ?इनाडु की तरह 
आपका अखबार भी जनता  के साथ है।
 आज जब  2019 का लोस  चुनाव सामने है तो मीडिया का बड़ा हिस्सा दो  खेमों में बंट गया दिखता है।
  जिस खेमे  को पाठक -श्रोता अपेक्षाकृत अधिक पसंद कर रहे हैं,उसे मोटा -मोटी यह समझ लेना चाहिए कि उसकी पसंदीदा पार्टी की ही सरकार बनने वाली है। 



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