पिछले कुछ दशकों में मैंने कई अच्छे -भले नेताओं की बर्बादी देखी है। उनके गैर राजनीतिक स्वार्थों के कारण ऐसा हुआ है।
जन कल्याण के प्रारंम्भिक कामों के बाद कोई नेता खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए।
कुछ की संतान भ्रष्ट बन गई।
कुछ अन्य अपनी उप पत्नियों के चक्कर में बर्बाद हो गए
तो कुछ अपने परिजन के बेहतर राजनीतिक कैरियर के लोभ में समझौतावादी बन गए।
जन कल्याण के प्रारंम्भिक कामों के बाद कोई नेता खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए।
कुछ की संतान भ्रष्ट बन गई।
कुछ अन्य अपनी उप पत्नियों के चक्कर में बर्बाद हो गए
तो कुछ अपने परिजन के बेहतर राजनीतिक कैरियर के लोभ में समझौतावादी बन गए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें