बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

एक आग्रह ,आखिरी बार
ब्लाक करने पर मजबूर न करें !
--------------
मेरे व्हाॅट्सेप पर अनेक लोग बहुत सारी बिनमांगी सामग्री भेजते रहते हैं।
यही हाल मेरे फेसबुक वाॅल का भी है।
जो मेरे फेसबुक फ्रेंड नहीं हैं,वे भी तरह -तरह की टिप्पणियां करते रहते हैं--कुछ वांछित और कुछ अवांछित।
कई बार टिप्पणियां मानहानिकारक होती हैं।
मेरी द्विविधा  यह होती है कि मैं उसका जवाब दूं या उसे हटा  दूं।
डिलीट करने से लिखने वाले को गुस्सा आता है।
जवाब देने में समय लगता है जो मेरे पास इस काम के लिए काफी कम है।
मुझे इस बात से कोई मतलब नहीं है कि आप किसके खिलाफ क्या लिखते हैं।मतलब सिर्फ इसी से है कि हम कहीं किसी कानूनी पचड़े में न पड ़जाएं।
मैंने इससे पहले भी आग्रह किया था कि मेरी सहमति के बिना कोई सामग्री व्हाॅट्सेप  पर न डालें।या फिर टैग न करें।
साथ ही जो मेरे ‘फेसबुक फें्रड’ नहीं हैं,वे कोई टिप्पणी मेरे वाॅल पर न लिखें।
मैं सारी टिपप्णियां यदि  पढ़ने लगूं तो अधिक दिनों तक मेरी आंखें मेरा साथ नहीं देंगी।
इसलिए आखिरी बार आग्रह कर रहा हूं।
व्हाट्सेप पर कुछ भेजने से पहले मुझसे पूछ लें।
जो ‘मित्र’ नहीं हैं,वे मेरे फेसबुक वाॅल पर कुछ
न लिखें।
अन्यथा मैं अब ब्लाॅक करना शुरू कर दूंगा।
एक बात और
फेसबुक एक बहुत अच्छा साधन है।इसने आम लोगों को भी पत्रकार बना दिया है।या जिनमें पत्रकार या विचारक की  प्रतिभा है,उन्हें चमकने का मौका दिया है।
अतः इस साधन का सावधानी से इस्तेमाल कीजिएगा तो यह आपके पास बना रहेगा।
अन्यथा नाहक मुकदमेबाजी में फंस जाइएगा तो बाद में आपको ही इसका इस्तेमाल करने का जी नहीं करेगा।
अभी मैं एक खास  प्रवृति देख रहा हूं।कुछ लोग समझते हैं कि फेसबुक पर कुछ भी लिखकर बचा जा सकता है। 
ऐसा है नहीं।आप तभी तक बचे रहेंगे,जब तक आपके पीछे कोई नहीं पड़ा है।
अभी तो इस साधनों का और विस्तार होने वाला है।
नतीजतन इसका प्रभाव भी बढ़ेगा।
फिर तो जिसकी मानहानि होगी, वह निष्क्रिय नहीं रहेगा।

कोई टिप्पणी नहीं: