जब भी निष्पक्ष पत्रकारिता की जरूरत की चर्चा होती है तो मुझे दो-तीन बातें याद आ जाती हैं।
1.-अस्सी के दशक में राजेंद्र माथुर ने मुझसे कहा था कि
‘आप इंदिरा@गांधी@ जी के खिलाफ जितनी भी कड़ी खबरें लाकर मुझे दीजिए, मैं उसे जरूर छापूंगा।पर, इंदिरा जी में बहुत से गुण भी हैं।मैं उन्हें भी छापूंगा। एक बात समझ लीजिए।मेरा अखबार अभियानी भी नहीं है।’
2.-नब्बे के दशक में एक अखबार में बी.बी.सी.के एक बड़े अधिकारी का इंटरव्यू पढ़ा था।
उस अधिकारी से पूछा गया था कि बी.बी.सी.की साख का राज क्या है ?
उन्होंने कहा था कि ‘यदि दुनिया के किसी देश में कम्युनिज्म आ रहा है तो हम उसे रोकने की कोशिश नहीं करते।हम लोगों को सिर्फ यह सूचना देते हैं कि कम्युनिज्म आ रहा है।उसी तरह यदि किसी देश से कम्युनिज्म जा रहा है तो हम उसे बचाने की भी कोशिश नहीं करते,बल्कि हम सिर्फ उसकी सूचना देते हैं।यही हमारी साख का राज है।’
1.-अस्सी के दशक में राजेंद्र माथुर ने मुझसे कहा था कि
‘आप इंदिरा@गांधी@ जी के खिलाफ जितनी भी कड़ी खबरें लाकर मुझे दीजिए, मैं उसे जरूर छापूंगा।पर, इंदिरा जी में बहुत से गुण भी हैं।मैं उन्हें भी छापूंगा। एक बात समझ लीजिए।मेरा अखबार अभियानी भी नहीं है।’
2.-नब्बे के दशक में एक अखबार में बी.बी.सी.के एक बड़े अधिकारी का इंटरव्यू पढ़ा था।
उस अधिकारी से पूछा गया था कि बी.बी.सी.की साख का राज क्या है ?
उन्होंने कहा था कि ‘यदि दुनिया के किसी देश में कम्युनिज्म आ रहा है तो हम उसे रोकने की कोशिश नहीं करते।हम लोगों को सिर्फ यह सूचना देते हैं कि कम्युनिज्म आ रहा है।उसी तरह यदि किसी देश से कम्युनिज्म जा रहा है तो हम उसे बचाने की भी कोशिश नहीं करते,बल्कि हम सिर्फ उसकी सूचना देते हैं।यही हमारी साख का राज है।’
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें