इस देश के नेताओं और बुद्धिजीवियों के एक हिस्से के लिए
‘सनातन संस्था’ कोई समस्या नहीं है तो दूसरा हिस्सा इंडियन मुजाहिद्दीन और पी.एफ.आई.के प्रति नरम है।
जिस तरह नेताओं की एक जमात सिर्फ अपने दल में ईमानदार खोजती है तो दूसरी जमात सिर्फ दूसरे दल में बेईमानों की उपस्थिति का प्रचार करती रहती है।
‘सनातन संस्था’ कोई समस्या नहीं है तो दूसरा हिस्सा इंडियन मुजाहिद्दीन और पी.एफ.आई.के प्रति नरम है।
जिस तरह नेताओं की एक जमात सिर्फ अपने दल में ईमानदार खोजती है तो दूसरी जमात सिर्फ दूसरे दल में बेईमानों की उपस्थिति का प्रचार करती रहती है।
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