गुरुवार, 2 अगस्त 2018

पिछले महीने शिव सेना सांसद अरविंद सावंत ने 
संसद में यह सवाल उठाया कि सरकार यह बताए कि 
प्रधान मंत्री की चुनाव रैलियों के लिए पैसे कहां से 
आते हैं।
लगता है कि महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने शिव सेना के ‘साप्ताहिक चंदे’ पर कुछ नियंत्रण लगाया है या लगाने का प्रयास किया है।
 आरोप लगता है कि शिव सेना देशद्रोहियों से लोगों की रक्षा के लिए अपनी ताकत बनाए रखने के लिए अनेक लोगों से प्रोटेक्शन मनी लेती है।
 हालांकि संसद में शिव सेना ने सवाल तो सही  उठाया है।
दरअसल राजनीतिक दलों व उनके नेताओं ने चुनाव खर्च 
बहुत अधिक बढ़ा दिया है।
उससे कम पैसे में भी चुनाव लड़ा और जीता जा सकता है।
अत्यंत महंगे मंच और विमानों-हेलिकाॅप्टरों -गाडि़यों का अनावश्यक इस्तेमाल जरूरी नहीं।
खर्च की ऐसी अश्लीलता देख कर आम लोगों में राजनीति के प्रति खराब धारणा बनती है।पर लोग भी क्या करें ? अधिकतर दल अपनी ताकत  के अनुसार इस होड़ में शामिल रहते हैं।सब जानते हैं कि ये पैसे कहां से आते हैं।यह भी कि सारे राजनीतिक दल चंदे का स्त्रोत छिपाते हैं। 
कम से कम इस देश के ईमानदार नेताओं को यह चाहिए कि वे जल्द से जल्द इस स्थिति को बदलें।या बदलने की पहल करें।इस गरीब देश में यह सब ठीक नहीं है। 


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