सोमवार, 20 अगस्त 2018

 सामाजिक जीवन में कुछ रिटायर लोग यह 
शिकायत करते  हंै कि हमारे मित्र मेरे यहां नहीं 
आते।
जब हम ‘पावर’ वाली कुर्सी पर थे तो बहुत लोग आते थे।
 यह शिकायत व्यापक है। इसके कई कारण हो सकते हैं।
एक कारण मुझे समझ में आ रहा है जिसकी ओर शिकायत करने वाले का ध्यान शायद नहीं गया होगा।
  आपके यहां जब लोग आया करते थे तो आपका व्यवहार उनके प्रति कैसा रहता था ?
 क्या तब उनके सामने आप सिर्फ अपनी ही बातें बोलते रहते थे ? या, उन्हें भी कुछ कहने का मौका देते थे ?
क्या आपने कभी सामने वाले के अच्छे गुणों की भी सराहना की ?
कभी उसने अपनी बात कहने की कोशिश की तो आपने अधिक जानकारी के लिए उनसे कोई पूरक प्रश्न पूछा ?
या उनकी बात बीच में ही काट दी ?
क्या आपने उनके परिवार-बाल बच्चों के  हालचाल पूूछे ?
शायद इन प्रश्नों के जवाब ना में ही हांेगे।
आप खुद कितने रिटायर मित्रों के यहां जाते हैं ?
फिर आपका एकालाप सुनने आप के यहां कोई क्यों आएगा ?



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