राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडु सदन में
शांति-शालीनता बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील
रहे हैं।अब उप सभापति पद पर भी हरिवंश के रूप में एक ऐसे व्यक्ति आए हैं जिन्होंने अपनी सदस्यता की अवधि में ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे उच्च सदन की गरिमा कम होती हो।
अब यह उम्मीद की जाती है कि सभापति व उप सभापति मिलकर ऐसे सदस्यों पर काबू पाएंगे जिनका मुख्य काम ही बारी से पहले बोलना और शोरगुल-हंगामा करना होता है।
साठ-सत्तर के दशक में संसद खास कर राज्य सभा से समाजवादी नेता राज नारायण सहित कुछ सदस्य मार्शल के जरिए निकाल दिए जाते थे जब वे आसन के निदेश का पालन करने से इनकार कर देते थे।
जरूरत पड़ने पर मार्शल का इस्तेमाल अब भी होना चाहिए ताकि संसद खास कर उच्च सदन की गरिमा कायम की जा सके।जब भी सदन में शांति रहती है,प्रतिपक्ष को अपनी बातें रखने का अधिक अवसर मिलता है।
शांति-शालीनता बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील
रहे हैं।अब उप सभापति पद पर भी हरिवंश के रूप में एक ऐसे व्यक्ति आए हैं जिन्होंने अपनी सदस्यता की अवधि में ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे उच्च सदन की गरिमा कम होती हो।
अब यह उम्मीद की जाती है कि सभापति व उप सभापति मिलकर ऐसे सदस्यों पर काबू पाएंगे जिनका मुख्य काम ही बारी से पहले बोलना और शोरगुल-हंगामा करना होता है।
साठ-सत्तर के दशक में संसद खास कर राज्य सभा से समाजवादी नेता राज नारायण सहित कुछ सदस्य मार्शल के जरिए निकाल दिए जाते थे जब वे आसन के निदेश का पालन करने से इनकार कर देते थे।
जरूरत पड़ने पर मार्शल का इस्तेमाल अब भी होना चाहिए ताकि संसद खास कर उच्च सदन की गरिमा कायम की जा सके।जब भी सदन में शांति रहती है,प्रतिपक्ष को अपनी बातें रखने का अधिक अवसर मिलता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें