इस महीने दिल्ली में अतिवादियों ने स्वामी अग्निवेश पर और मोतिहारी प्रो.संजय कुमार पर हमले किए।
दरअसल जिनके पास अपने विरोधियों को तर्क में पराजित कर देने की ताकत नहीं होती ,वे ही हिंसक कार्रवाइयां करते हैं।ऐसी हिंसा निन्दनीय हैं।
इससे पीडि़तों के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती है, भले वे सहानुभति के लायक हों या नहीं।
इसलिए हिंसा को अंततः हमेशा घाटे का सौदा ही माना जाता है।
दरअसल जिनके पास अपने विरोधियों को तर्क में पराजित कर देने की ताकत नहीं होती ,वे ही हिंसक कार्रवाइयां करते हैं।ऐसी हिंसा निन्दनीय हैं।
इससे पीडि़तों के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती है, भले वे सहानुभति के लायक हों या नहीं।
इसलिए हिंसा को अंततः हमेशा घाटे का सौदा ही माना जाता है।
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