सोमवार, 13 अगस्त 2018

प्रारम्भिक सर्वे में रोहिणी आयोग ने पाया है कि केंद्रीय सेवाआंे
में ओ.बी.सी.आरक्षण का अधिकांश लाभ अब तक सिर्फ चार जातियों को ही मिलता रहा है। 1993 में लागू 27 प्रतिशत आरक्षण में से 20 प्रतिशत आरक्षण उन चार जातियों में ही सिमट गया है।
डा.लोहिया ने सबसे पहले कहा था कि पिछड़ों को साठ प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए।पर वे हर जाति की महिलाओं को पिछड़ों में शामिल करते थे।उन्होंने भी माना था कि आरक्षण का लाभ पहले मजबूत पिछड़ों की ही मिलेगा।
पर उनकी इस उक्ति में यह भी छिपा था कि  कमजोर पिछड़ों को बाद में ही  मिल पाएगा।
 27 प्रतिशत आरक्षण को तीन हिस्सों में बांटने के लिए मोदी  सरकार ने जस्टिस जी.रोहिणी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय आयोग गत साल 2 अक्तूबर को बनाया था।
आयोग यह जांच कर रहा है कि विभिन्न सरकारी महकमों,पी.एस.यू.और विश्व द्यिालयों में पिछड़ों में किन जातियों को कितनी नौकरियां मिली हैं।
अभी निचले स्तर से सूचनाएं आयोग को मिलनी बाकी हैं।पर अब तक मिली जानकारियों के अनुसार चार जातियों का हिस्सा 27 में 20 प्रतिशत है।दैनिक जागरण ने आज यह बड़ी खबर दी है।
 संभवतः नवंबर में आयोग की रपट आ जाने के बाद केंद्र सरकार 27 प्रतिशत आरक्षण को 2479 जातियों के बीच तीन हिस्सों में बांट देगी।
 उसके बाद संभव है कि मजबूत पिछड़ों के समर्थक नेता गरम होंगे।
2019 के लोक सभा चुनाव से ठीक पहले उससे पिछड़ा समाज भी गरमाएगा।
  संभव है कि उससे राजग का ‘अति पिछड़ा वोट बैंक’ तैयार हो जाए जिस तरह मोदी विरोधी दलों के पास अल्पसंख्यकों का एक मजबूत  वोट बैंक उपलब्ध है।

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