अटल बिहारी वाजपेयी बोलते कम और सुनते अधिक
थे।उनकी लोकप्रियता का एक कारण यह भी था।
किसी ने ठीक ही कहा था कि ‘ईश्वर ने जानबूझकर एक ही मुंह पर दो कान दिए हैं।’
यदि किसी बड़े नेता के पास कोई व्यक्ति या व्यक्ति समूह जाता है तो अपनी बात उनसे कह कर हल्का महसूस करता है।यदि नेता उनकी पूरी बात सुन ले तो खुद को गौरवान्वित भी महसूस करता है।
इससे उलट मिलने गए लोगों के सामने कोई नेता सिर्फ
अपना ही गीत गाता रहे तो लोग ऊबते हैं।पर, इससे भी आगे मैं कुछ ऐसे नेताओं को भी जानता रहा हूं जो मुलाकातियों व कार्यकत्र्ताओं को डांटने -फटकारने और रोब झाड़ने में ही अपनी शान समझते रहे।ऐसा व्यवहार उल्टा पड़ता है।
थे।उनकी लोकप्रियता का एक कारण यह भी था।
किसी ने ठीक ही कहा था कि ‘ईश्वर ने जानबूझकर एक ही मुंह पर दो कान दिए हैं।’
यदि किसी बड़े नेता के पास कोई व्यक्ति या व्यक्ति समूह जाता है तो अपनी बात उनसे कह कर हल्का महसूस करता है।यदि नेता उनकी पूरी बात सुन ले तो खुद को गौरवान्वित भी महसूस करता है।
इससे उलट मिलने गए लोगों के सामने कोई नेता सिर्फ
अपना ही गीत गाता रहे तो लोग ऊबते हैं।पर, इससे भी आगे मैं कुछ ऐसे नेताओं को भी जानता रहा हूं जो मुलाकातियों व कार्यकत्र्ताओं को डांटने -फटकारने और रोब झाड़ने में ही अपनी शान समझते रहे।ऐसा व्यवहार उल्टा पड़ता है।
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