हम लोग हर साल स्वतंत्रता दिवस पर टाइगर योगेन्द्र नारायण सिंह उर्फ ‘टाइगर साहब’ के आवास के अहाते में बने बड़े चबूतरे पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं।इस बार भी फहराया।
अब तो टाइगर साहब नहीं रहे,किन्तु उनके पुत्र द्वय राघवेन्द्र नारायण सिंह और महेन्द्र नारायण सिंह इस अवसर पर सपरिवार मौजूद रहते हैं।
हम ‘टाइगर परिवार’ के पड़ोसी हैं।पड़ोसी नलिन वर्मा और रणवीर सिंह भी आज शामिल रहे।
हमने झंडा फहराया।देशभक्ति के नारे लगाए और मिठाइयां खाईं।
इस अवसर पर टाइगर साहब भी याद आए जिन्होंने शानदार बहुद्देशीय चबूतरा बनवाया था जहां यह संभव हो पाता है।टाइगर साहब के जीवन काल में इस चबूतरे पर कभी -कभी संगीत समारोह भी होते थे।वे शास्त्रीय संगीत के शौकीन थे।
अब हम लोग अक्सर शाम में वहां बैठ कर गपशप भी करते हैं।
टाइगर साहब का जागरूक परिवार टाइगर साहब की तरह ही देशहित की बातें सोचता है।
टाइगर साहब बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ @टाइगर गुट@के प्रमुख थे।
उन दिनों महा संघ के जो अन्य गुट सक्रिय थे -उनके नाम हैं गोप गुट, मुंशी गुट और त्रिपाठी गुट।
टाइगर साहब ईमानदार व्यक्ति थे,इसलिए उनके पास बीच शहर में जमीन खरीदने लायक पैसे नहीं थे।हां,उन्होंने बाल -बच्चों को अच्छी शिक्षा दी।
टाइगर साहब जब एम्स के पास अपना यह घर बनवाने लगे तो उन्होंने एक चबूतरा भी बनवाया जो अब बड़े काम का है।
ऐसा सार्वजनिक जीवन जीने वाला व्यक्ति ही कर सकता है।
उनके लड़कों को भी वह संस्कार मिला है।
अब तो टाइगर साहब नहीं रहे,किन्तु उनके पुत्र द्वय राघवेन्द्र नारायण सिंह और महेन्द्र नारायण सिंह इस अवसर पर सपरिवार मौजूद रहते हैं।
हम ‘टाइगर परिवार’ के पड़ोसी हैं।पड़ोसी नलिन वर्मा और रणवीर सिंह भी आज शामिल रहे।
हमने झंडा फहराया।देशभक्ति के नारे लगाए और मिठाइयां खाईं।
इस अवसर पर टाइगर साहब भी याद आए जिन्होंने शानदार बहुद्देशीय चबूतरा बनवाया था जहां यह संभव हो पाता है।टाइगर साहब के जीवन काल में इस चबूतरे पर कभी -कभी संगीत समारोह भी होते थे।वे शास्त्रीय संगीत के शौकीन थे।
अब हम लोग अक्सर शाम में वहां बैठ कर गपशप भी करते हैं।
टाइगर साहब का जागरूक परिवार टाइगर साहब की तरह ही देशहित की बातें सोचता है।
टाइगर साहब बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ @टाइगर गुट@के प्रमुख थे।
उन दिनों महा संघ के जो अन्य गुट सक्रिय थे -उनके नाम हैं गोप गुट, मुंशी गुट और त्रिपाठी गुट।
टाइगर साहब ईमानदार व्यक्ति थे,इसलिए उनके पास बीच शहर में जमीन खरीदने लायक पैसे नहीं थे।हां,उन्होंने बाल -बच्चों को अच्छी शिक्षा दी।
टाइगर साहब जब एम्स के पास अपना यह घर बनवाने लगे तो उन्होंने एक चबूतरा भी बनवाया जो अब बड़े काम का है।
ऐसा सार्वजनिक जीवन जीने वाला व्यक्ति ही कर सकता है।
उनके लड़कों को भी वह संस्कार मिला है।
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