मंगलवार, 7 अगस्त 2018

पौधों को बढ़ते हुए देखने और पढ़ने-लिखने से अधिक 
किसी अन्य चीज में कुछ अधिक सुख-संतोष है,यह मैं
नहीं जानता।यदि है भी तो उसकी जरूरत मुझे महसूस नहीं होती।
 मेरे संदर्भालय सह पुस्तकालय की चर्चा तो कुछ अन्य मित्र  भी करते हैं।पर, आज मैं अपने आवासीय परिसर के पेड़-पौधों की चर्चा करूंगा।देश-प्रदेश के बिगड़ते पर्यावरण संतुलन के बीच ऐसी बातों की चर्चा प्रासंगिक भी है।
पटना एम्स के बगल के गांव कोरजी गांव के अपने घर में जून, 2015 से रह रहा हूं।
इस बीच मैंने पत्नी और पुत्र के सहयोग से कुछ पेड़-पौधे लगाए ।छोटे पेड़ अब बड़े हो रहे हंै।पौधे अब पेड़ बन रहे हैं।
 पेड़-पौधों के रूप में हमारी जो संपत्ति है,उनकी सूची इस प्रकार है --
गुल मोहर,
सहजन,
नीम-2
ओरहुल-5
समी,
कढ़ी पत्ता,
मेंहदी-2
नींबू-3
आंवला,
आम-4
अमरूद-2
चंदन,
सदा बहार,
मोहंगनी,
विदेशी गम्भार-2
और अनार।
 पेड़-पौधे लगाने का काम अब भी जारी है।
इसमें फूलों और तुलसी के बहुत सारे पौधों का 
जिक्र जानबूझकर नहीं किया गया हैं।  

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