मैंने 28 साल तक पी.एफ.वाली नौकरी की।मेरी मासिक पेंशन
राशि है मात्र 1231 रुपए।
25 जून, 2018 के ‘इकाॅनामिक टाइम्स’ में खबर छपी कि
इ.पी.एस.पेंशन राशि न्यूनत्तम 2000 रुपए करने का प्रस्ताव है।
पर, लगता है कि मोदी सरकार ने बहुत सारे काम चुनाव की पूर्व संध्या के लिए टाल रखा है।
यदि मुझे स्वतंत्र लेखन से काम लायक पैसे नहीं मिल रहे होते तो जीवन की गाड़ी कैसे चलती ? पर,वह भी हाथ -पैर चलते रहने तक ही तो है !
वैसे इस गरीब देश में ‘अमृत’ फिल्म का वह गाना संतोष देता है-
‘दुनिया में कितना गम है,मेरा गम कितना कम है।
लोगों का गम देखा तो मैं अपना गम भूल गया।’
राशि है मात्र 1231 रुपए।
25 जून, 2018 के ‘इकाॅनामिक टाइम्स’ में खबर छपी कि
इ.पी.एस.पेंशन राशि न्यूनत्तम 2000 रुपए करने का प्रस्ताव है।
पर, लगता है कि मोदी सरकार ने बहुत सारे काम चुनाव की पूर्व संध्या के लिए टाल रखा है।
यदि मुझे स्वतंत्र लेखन से काम लायक पैसे नहीं मिल रहे होते तो जीवन की गाड़ी कैसे चलती ? पर,वह भी हाथ -पैर चलते रहने तक ही तो है !
वैसे इस गरीब देश में ‘अमृत’ फिल्म का वह गाना संतोष देता है-
‘दुनिया में कितना गम है,मेरा गम कितना कम है।
लोगों का गम देखा तो मैं अपना गम भूल गया।’
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