चिकित्सकों के प्रति आभार
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1.-डा.शिव नारायण सिंह --सन 1972 में शिव नारायण बाबू से दिखाने उनके यहां गया था।
तब वे पटना के राजेंद्र नगर में रहते थे।
उन्होंने मुझे देखने के बाद आई.डी.पी.एल.निर्मित सस्ती दवा लिख दी।गैस की दवा थी।संभवतःएक टेबलेट दस पैसे की आती थी।
मैंने बहुत आग्रह किया तो उन्होंने कुछ पैथोलाॅजिकल जांच लिख दी।वे कह रहे थे कि क्यों पैसे खर्च करोगे ?तुम्हारे पास बहुत पैसे हैं क्या ? तुम्हें उसकी आवश्यकता नहीं है।
फिर भी मैंने जांच कराई।रिपोर्ट लेकर दिखाया तो उन्होंने कहा कि ‘कहा था न कि तुम्हें इसकी कोई जरूरत नहीं है।’
बता दूं कि मेरा उनसे कोई परिचय नहीं था।
हालांकि मेरा अपना एक ‘परिचय’ तब भी था।
2.-डा.सुनील कुमार सिंह -मशहूर नेत्र चिकित्सक और मेरे रिश्तेदार सुनील जी की एक खास सलाह मुझे काम आ रही है।उन्होंने कहा है कि कम्प्यूटर पर काम करते समय बीच- बीच में ‘पामिंग’ करते रहिए।
मैं वैसा वर्षों से करता हूं।
इस व कुछ अन्य उपायों से मेरी आंखों में कोई तकलीफ नहीं है।अब तक मोतियाबिंद का भी आपरेशन नहीं कराना पड़ा है।
3.-कई साल पहले मैं पेट की बीमारी से अत्यंत परेशान था।चैबीसों घंटे दर्द रहता था।मुझे लगता था कि बचूंगा नहीं।
एलोपैथिक के बाद आयुर्वेदिक चिकित्सा भी कराई।
तकलीफ दूर नहीं हुई।
स्वयं प्रकाश मुझे डा.एस.चंद्रा के यहां ले गए।
डा.चंद्रा ने जादू कर दिया।
डा.चंद्रा ने पहले एम.बी.बी.एस.की पढ़ाई की।उसके बाद होमियोपैथी पढ़ी।पटना के यार पुर में बैठते हैं।
4.-यह तब की बात है जब मैं आशियाना नगर फेज वन में रहता था।
उसी सड़क पर जिस पर मशहूर व चर्चित चिकित्सक डा.अजय कुमार का मकान है।लगभग रोज ही उनके घर पर सुबह की चाय व गपशप का अवसर मिलता था।
डा.अजय यानी बाहर-भीतर से एक तरह का व्यक्तित्व-स्नेहिल और सबके सुख-दुःख में साथ देने वाले।
संयोग से मुझे वही बीमारी परेशान करने लगी जिसके वे
विशेषज्ञ हैं।
उनसे मैंने प्रोस्टेट का आपरेशन कराया।
अब राहत है।
आपरेशन से पहले कई लोगों ने मुझे सलाह दी थी कि कहीं बाहर जाकर आपरेशन करा लीजिए।मैंने कहा कि मुझे डा.अजय पर पूरा भरोसा है।मैं सही था।
5.-अपने सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस के लिए मधुरेश की सलाह पर मैंने शिवहर के होमियोपैथ चिकित्सक डा.शालिग्राम सिंह से फोन पर बात की।
मुझे कई साल पहले एक बड़े एलोपैथिक चिकित्सक ने कहा था कि इस बीमारी का इलाज होमियोपैथ में है।
शालिग्राम बाबू की बताई दवा काफी कारगर लग रही है।
मुझसे बातचीत में सीतामढ़ी के मेरे मित्र नागेंद्र प्रसाद सिंह ने भी शालिग्राम बाबू की तारीफ की।
मैंने पहले जो भी दवाएं लीं, वह ‘रिलीफ’ देती थी।मुझे अब लग रहा है कि शालिग्राम बाबू की दवा ‘रिपेयर’ कर रही है।हालांकि यह अभी मेरा अंतिम निष्कर्ष नहीं है।
जाड़े में यह बीमारी अधिक कष्ट देती है।इस बार ठंड शुरू हो जाने के बावजूद मुझे पहले जैसा कष्ट नहीं है।
हां, उनसे यह पूछना है कि ठीक हो गया,ऐसा लगने पर भी दवा और कितने लंबे समय तक ली जानी चाहिए।क्या होमियोपैथिक दवाओं का भी साइड इफेक्ट होता है ?
6.-
और अंत में
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राजा बाजार के होमियोपैथिक चिकित्सक डा.सुरेश प्रसाद के साथ मेरे और मेरे परिवार का अनुभव अच्छा रहा है।
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इलाज से उपर्युक्त व इनके अलावा भी जिन चिकित्सकों से मुझे व मेरे परिवार को लाभ पहुंचा है,उन्हें धरती का भगवान मान कर उनके प्रति मैं आभार प्रकट करता हूं।इस पेशे में भी कुछ धनलोलुप लोग आ गए हैं।पर वैसे लोग किस पेशे में नहीं हैं ?
निःस्वार्थ सेवा के क्षेत्र में डा.अरूण तिवारी का मुकाबला किस अन्य पेशे के कितने लोग कर सकते हैं ?
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1.-डा.शिव नारायण सिंह --सन 1972 में शिव नारायण बाबू से दिखाने उनके यहां गया था।
तब वे पटना के राजेंद्र नगर में रहते थे।
उन्होंने मुझे देखने के बाद आई.डी.पी.एल.निर्मित सस्ती दवा लिख दी।गैस की दवा थी।संभवतःएक टेबलेट दस पैसे की आती थी।
मैंने बहुत आग्रह किया तो उन्होंने कुछ पैथोलाॅजिकल जांच लिख दी।वे कह रहे थे कि क्यों पैसे खर्च करोगे ?तुम्हारे पास बहुत पैसे हैं क्या ? तुम्हें उसकी आवश्यकता नहीं है।
फिर भी मैंने जांच कराई।रिपोर्ट लेकर दिखाया तो उन्होंने कहा कि ‘कहा था न कि तुम्हें इसकी कोई जरूरत नहीं है।’
बता दूं कि मेरा उनसे कोई परिचय नहीं था।
हालांकि मेरा अपना एक ‘परिचय’ तब भी था।
2.-डा.सुनील कुमार सिंह -मशहूर नेत्र चिकित्सक और मेरे रिश्तेदार सुनील जी की एक खास सलाह मुझे काम आ रही है।उन्होंने कहा है कि कम्प्यूटर पर काम करते समय बीच- बीच में ‘पामिंग’ करते रहिए।
मैं वैसा वर्षों से करता हूं।
इस व कुछ अन्य उपायों से मेरी आंखों में कोई तकलीफ नहीं है।अब तक मोतियाबिंद का भी आपरेशन नहीं कराना पड़ा है।
3.-कई साल पहले मैं पेट की बीमारी से अत्यंत परेशान था।चैबीसों घंटे दर्द रहता था।मुझे लगता था कि बचूंगा नहीं।
एलोपैथिक के बाद आयुर्वेदिक चिकित्सा भी कराई।
तकलीफ दूर नहीं हुई।
स्वयं प्रकाश मुझे डा.एस.चंद्रा के यहां ले गए।
डा.चंद्रा ने जादू कर दिया।
डा.चंद्रा ने पहले एम.बी.बी.एस.की पढ़ाई की।उसके बाद होमियोपैथी पढ़ी।पटना के यार पुर में बैठते हैं।
4.-यह तब की बात है जब मैं आशियाना नगर फेज वन में रहता था।
उसी सड़क पर जिस पर मशहूर व चर्चित चिकित्सक डा.अजय कुमार का मकान है।लगभग रोज ही उनके घर पर सुबह की चाय व गपशप का अवसर मिलता था।
डा.अजय यानी बाहर-भीतर से एक तरह का व्यक्तित्व-स्नेहिल और सबके सुख-दुःख में साथ देने वाले।
संयोग से मुझे वही बीमारी परेशान करने लगी जिसके वे
विशेषज्ञ हैं।
उनसे मैंने प्रोस्टेट का आपरेशन कराया।
अब राहत है।
आपरेशन से पहले कई लोगों ने मुझे सलाह दी थी कि कहीं बाहर जाकर आपरेशन करा लीजिए।मैंने कहा कि मुझे डा.अजय पर पूरा भरोसा है।मैं सही था।
5.-अपने सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस के लिए मधुरेश की सलाह पर मैंने शिवहर के होमियोपैथ चिकित्सक डा.शालिग्राम सिंह से फोन पर बात की।
मुझे कई साल पहले एक बड़े एलोपैथिक चिकित्सक ने कहा था कि इस बीमारी का इलाज होमियोपैथ में है।
शालिग्राम बाबू की बताई दवा काफी कारगर लग रही है।
मुझसे बातचीत में सीतामढ़ी के मेरे मित्र नागेंद्र प्रसाद सिंह ने भी शालिग्राम बाबू की तारीफ की।
मैंने पहले जो भी दवाएं लीं, वह ‘रिलीफ’ देती थी।मुझे अब लग रहा है कि शालिग्राम बाबू की दवा ‘रिपेयर’ कर रही है।हालांकि यह अभी मेरा अंतिम निष्कर्ष नहीं है।
जाड़े में यह बीमारी अधिक कष्ट देती है।इस बार ठंड शुरू हो जाने के बावजूद मुझे पहले जैसा कष्ट नहीं है।
हां, उनसे यह पूछना है कि ठीक हो गया,ऐसा लगने पर भी दवा और कितने लंबे समय तक ली जानी चाहिए।क्या होमियोपैथिक दवाओं का भी साइड इफेक्ट होता है ?
6.-
और अंत में
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राजा बाजार के होमियोपैथिक चिकित्सक डा.सुरेश प्रसाद के साथ मेरे और मेरे परिवार का अनुभव अच्छा रहा है।
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इलाज से उपर्युक्त व इनके अलावा भी जिन चिकित्सकों से मुझे व मेरे परिवार को लाभ पहुंचा है,उन्हें धरती का भगवान मान कर उनके प्रति मैं आभार प्रकट करता हूं।इस पेशे में भी कुछ धनलोलुप लोग आ गए हैं।पर वैसे लोग किस पेशे में नहीं हैं ?
निःस्वार्थ सेवा के क्षेत्र में डा.अरूण तिवारी का मुकाबला किस अन्य पेशे के कितने लोग कर सकते हैं ?
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