गुरुवार, 15 नवंबर 2018

सुविधा के अनुसार ही भगवान राम को भी समझ लिया

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भगवान राम भी नहीं चाहेंगे कि किसी विवादास्पद स्थल पर उनका मंदिर बने। यानी, श्री सिंह ने अपनी राजनीतिक सुविधा के अनुसार ही भगवान राम को भी समझ लिया है।

भगवान राम का यही मानस होता तो वे सीता जी को लंका में ही छोड़ दिए होते। पर नहीं। उन्होंने खुद की और अपने भाई की जान जोखिम में डालकर सीता को वापस लाया। यानी अपना हक फिर से हासिल किया।


जो लोग यह मानते हैं कि राम मंदिर को ध्वस्त करके बाबरी मस्जिद बनी थी, स्वाभाविक है कि वे लोग वही काम करेंगे जो काम खुद राम ने किया था। जिन लोगों को घ्वस्त मंदिर पर बाबरी मस्जिद निर्माण की घटना पर शक हो, वे काशी की ज्ञानवापी मस्जिद की एक झलक गुगल पर देख लें।


वैसे तो अभी सबको सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए, पर उससे पहले ही दोनों पक्षों के बयान आ रहे हैं तो मैं भी इस छोटी टिप्पणी से खुद को नहीं रोक सका।


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