जो जवाहरलाल नेहरू 1950 में राज गोपालाचारी और 1957 में डॉ. राधाकृष्णन को राष्ट्रपति नहीं बनवा सके, उन्हें देश को लोकतंत्र देने का श्रेय शशि थरूर दे रहे हैं! अरे भई, जवाहरलाल जी को मानव ही रहने दीजिए। महामानव बनाने की कोशिश मत कीजिए।
उनका आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान था। वे बड़े नेता थे, पर सब कुछ वही नहीं थे। कांग्रेस में अन्य कई बड़े नेताओं की भी चलती थी। लोकतंत्र एक सामूहिक प्रयास के कारण आया और कायम रहा। इस देश का मन मिजाज भी लोकतंत्र वाला ही है।
एक व्यक्ति को सारा श्रेय दीजिएगा तो राजनीति के विघ्नसंतोषी लोग नेहरू के वास्तविक योगदान को भी कम करके दिखाने लगेंगे। और न जाने उनके बारे में क्या-क्या कहानियां गढ़ने और नई पीढ़ी को बताने लगेंगे।
उनका आजादी की लड़ाई में बहुत बड़ा योगदान था। वे बड़े नेता थे, पर सब कुछ वही नहीं थे। कांग्रेस में अन्य कई बड़े नेताओं की भी चलती थी। लोकतंत्र एक सामूहिक प्रयास के कारण आया और कायम रहा। इस देश का मन मिजाज भी लोकतंत्र वाला ही है।
एक व्यक्ति को सारा श्रेय दीजिएगा तो राजनीति के विघ्नसंतोषी लोग नेहरू के वास्तविक योगदान को भी कम करके दिखाने लगेंगे। और न जाने उनके बारे में क्या-क्या कहानियां गढ़ने और नई पीढ़ी को बताने लगेंगे।
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