गुरुवार, 22 नवंबर 2018

 सासंदों को रिश्वत देकर लोक सभा में किसी अल्पमत सरकार को बहुमत में बदला जा सकता है।
हमारे देश के पक्ष -विपक्ष के नेताओं ने यह गुंजाइश बनाए रखी है।
इस गुंजाइश को खत्म कर देने का अवसर आया था,पर उसका  किसी दल ने उस अवसर का उपयोग नहीं किया।
 नब्बे के दशक में झामुमो के कुछ सांसदों को रिश्वत देकर बदले में  उनका समर्थन लेकर पी.वी.नरसिंहराव की अल्पमत सरकार को गिरने से बचा लिया गया था।रिश्वत के पैसे सांसदों के बैंकों खातों में पाए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘संविधान के अनुच्छेद -105 के तहत सांसदों को ऐसा करने की विशेष छूट है। यानी संसद में दिए गए भाषण या वोट पर किसी भी सांसद के खिलाफ किसी भी अदालत में कोई कार्यवाही नहीं हो सकती।’
 सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय आए कई दशक बीत गए।
इस बीच प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लगभग सभी प्रमुख दल केंद्र की सत्ता में रहे।
पर किसी दल ने इस विशेष छूट को समाप्त करने के लिए संविधान में संशोधन की  कोई पहल नहीं की।
  जिस तरह इस देश के आयकर ट्रिब्यूनल ने कहा था कि बोफर्स में मिले दलाली के पैसों पर आयकर बनता है,उसी तरह दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि झामुमो सांसदों को मिले 1.76 करोड़ रुपए की रिश्वत की रकम पर आयकर बनता है।
 पर इस देश के नियम -कानून-संविधान की विडंबना यह है कि रिश्वत पर आयकर तो बनता है,पर रिश्वत के स्त्रोत को बंद करने के लिए  किसी दल या नेता का कोई  कत्र्तव्य नहीं बनता।
 कैसे बनेगा ?
यदि 2019 में किसी गठबंधन को यदि बहुमत में कमी रह गयी तो संविधान का अनुच्छेद-105 उसके काम जो आएगा ! जिस तरह नरसिंह को काम आया और सुप्रीम कोर्ट सब कुछ जानते हुए भी मूक दर्शक बना रहा।क्योंकि इस देश के संविधान के अनुच्छेद-105 ने उसके हाथ बांध दिए हैं।
@22 नवंबर 2018@

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