गुरुवार, 15 नवंबर 2018

चुनाव प्रचार के दौरान इन दिनों कुछ लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि ‘आखिर 2 जी घोटाले में  क्या मिला ?
2 जी मामले में कोर्ट ने आरोपितों को तो दोषमुक्त कर दिया।’
पर कम ही लोगों को यह मालूम है कि 2 जी का मामला अब भी दिल्ली हाई कोर्ट में विचाराधीन है।
सी.बी.आई.ने लोअर कोर्ट के जजमेंट के खिलाफ अपील कर रखी है।यानी 2 जी केस समाप्त नहीं हुआ है।हां, 2019 में यदि राजग विरोधी सरकार बन गयी तो उसे समाप्त किया जा सकता है।  
2 जी घोटाले से संबंधित मुकदमे की जानकारी संक्षेप में--
 2 जी. स्पैक्ट्रम घोटाला मुकदमे में ए.राजा और कनिमोझी को दोषमुक्त करते हुए दिल्ली स्थित विशेष सी.बी.आई. जज ओ.पी.सैनी ने 2017 में  कहा था कि कलाइनगर टी.वी.को कथित रिश्वत के रूप में शाहिद बलवा की कंपनी डी.बी.ग्रूप द्वारा 200 करोड़ रुपए देने के मामले मेंं अभियोजन पक्ष ने किसी गवाह से जिरह तक नहीं की।
कोई सवाल नहीं किया।याद रहे कि उस  टीवी कंपनी का मालिकाना करूणानिधि परिवार से जुड़ा है।
मान लिया कि कोई सवाल नहीं किया ।क्योंकि शायद मनमोहन सरकार के कवर्यकाल में  सी.बी.आई. के वकील को ऐसा करने की अनुमति नहीं रही होगी।
पर, खुद जज साहब के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में ऐसे ही मौके के लिए  धारा -165 का प्रावधान किया गया है।आश्चर्य है कि  धारा -165 में प्रदत्त अपने अधिकार का सैनी साहब ने इस्तेमाल क्यों नहीं किया।
 संभवतः इस सवाल पर अब हाई कोर्ट में विचार होगा कि 
 जज ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा -165 में  मिली शक्ति का उपयोग क्यों नहीं किया जबकि उनके पास  यह सूचना थी कि
इस घोटाले में 200 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का आरोप लगा हैै ?
इस केस का यह सबसे प्रमुख सवाल है।
  उक्त धारा के अनुसार- ‘न्यायाधीश सुसंगत तथ्यों का पता चलाने के लिए या उनका उचित सबूत अभिप्राप्त करने के लिए ,किसी भी रूप में किसी भी समय, किसी भी साक्षी या पक्षकारों से, किसी भी सुसंगत या विसंगत तथ्य के बारे में कोई भी प्रश्न, जो वह चाहे पूछ सकेगा तथा किसी भी दस्तावेज या चीज को पेश करने का आदेश दे सकेगा और न तो पक्षकार और न उनके अभिकत्र्ता हकदार होंगे कि वे किसी भी ऐसे प्रश्न या आदेश के प्रति कोई भी आक्षेप करंे , न ऐसे किसी भी प्रश्न  के  प्रत्युत्तर में दिए गए किसी भी उत्तर पर किसी भी साक्षी की न्यायालय की इजाजत के बिना प्रति परीक्षा करने के हकदार होंगें।’


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