मंगलवार, 13 नवंबर 2018

1.-दाना पुर के डी.आर.एम.आर.पी.ठाकुर ने पटना रेलवे
जंक्शन के सात टी.सी.को निलंबित करने का आदेश दे दिया है।
गत रविवार को डी.आर. एम. के औचक निरीक्षण के दौरान ये टिकट कलेक्टर्स अपनी ड्यूटी से गायब पाए गए थे।
2.-भारत सरकार के गैर आई.ए.एस.संयुक्त सचिव समय पर आॅफिस आ जाते हैं।
आई.ए.एस.संयुक्त सचिवों पर ऐसा कोई ‘आरोप’ नहीं है।
याद रहे कि 400 संयुक्त सचिवों में से गैर आई.ए.एस.संयुक्त सचिवों की संख्या बढ़कर अब 200 तक पहुंच चुकी  है।
2014 से पहले गैर आई.ए.एस.संयुक्त सचिवों की संख्या 10 प्रतिशत ही थी।
3.-यह बात छिपी नहीं है कि बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों के अनेक शिक्षक बिना काम किए वेतन ले रहे हैं।अधिकतर सरकारी डाक्टर प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में जाने की जहमत नहीं उठाते।
4.-इसी साल फरवरी में यह खबर आई थी कि पटना जिले के 200 पुलिसकर्मी एक साल से ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं फिर भी उनका वेतन बनता जा रहा है।
5.-ऐसी घटनाओं की खबरें अक्सर आती रहती हैंं।
इस मामलें में इस देश के शासन की स्थिति बिगड़ती ही जा रही है।
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यदि बहुत बिगड़ गयी तो आखिर एक दिन उसका क्या नतीजा होगा ?
ऐसे मामले को लेकर जर्मनी की एक कहानी मैंने बहुत 
पहले कहीं पढ़ी या सुनी थी।यदि गलत हो तो जानकार मुझे सही कर देंगे।सही हो या गलत पर यह कहानी तार्किक तो लगती है। 
हिटलर-पूर्व जर्मनी में टे्रन के ड्रायवर किसी भी स्टेशन पर कभी भी ट्रेन रोक कर स्टेशन मास्टर के साथ बैठकर ताश खेलने लगते थे।यात्री गण भगवान भरोसे ! 
तानाशाह हिटलर जब सत्ता में आया तो उसने औचक निरीक्षण के दौरान कुछ ताश खेलते ड्रायवरों को वहीं गोली मार दी।
उसके बाद हर  ड्रायवर को लगने लगा कि हिटलर हाथ में रिवाल्वर लिए मेरी पीठ पर खड़ा है।
  ईश्वर न करे कि इस देश में कभी ऐसी नौबत आए।यहां अधिकतर लोगों का मिजाज लोकतांत्रिक बन चुका है।इसलिए शायद नौबत नहीं ही आएगी।
पर पावर-पोजिशन में बैठे हमारे ही अनेक लोग उसकी पृष्ठभूमि तैयार करने में तो कोई कमी नहीं छोड़ रहे है !
इस कामचोरी की समस्या को भीषण सरकारी भ्रष्टाचार के कोढ़ से जोड़कर देखिए ! देश की कैसी तस्वीर बनती है ?
हालांकि देश के सिस्टम में शामिल कई लोग ईमानदार भी हैं।पर वे कई बार बेबस लगते हैं।

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