शुक्रवार, 16 नवंबर 2018

 2017 में निर्णय आने के बाद सी.बी.आई.ने कहा था कि
विशेष जज ने दस्तावेजी सबूतों को भी नजरअंदाज किया
और मौखिक गवाही पर भरोसा किया।
सी.बी.आई.ने वकील को दोषी नहीं ठहराया था।
वकील तो कोर्ट में वही करता है जो उसका मुवक्किल करने के लिए समय -समय पर कहता है।
क्या आपको लोअर कोर्ट के ऐसे निर्णय में कोई कमी महसूस नहीं होती ?
याद रहे कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम द्रष्ट्वा घोटाला मान कर 122 लाइसेंस रद कर दिए थे और जुर्माना भी लगाया था।
 धारा -165 का इस्तेमाल करने में किसी वकील की कोई भूमिका नहीं होती।@16 नवंबर 18@

कोई टिप्पणी नहीं: