मंगलवार, 6 नवंबर 2018

बी.वाई.राघवेंद्र,
मधु बंगरप्पा,
और महिमा पटेल।
ये तीन नाम हैं।
तीनों में क्या समानताएं है ?
 तीन मुख्य समानताएं हैं।
तीनों कर्नाटका के हैं।
ये तीनों, तीन पूर्व मुख्य मंत्रियों के पुत्र हैं।
तीनों सिमोगा लोक सभा चुनाव क्षेत्र में एक दूसरे 
के खिलाफ उप चुनाव लड़ रहे हैं। 
3 नवंबर को वोट डाले जा चुके हैं।
6 नवंबर को मतों की गिनती होगी।
इनके पिता के नाम हैं क्रमशः
बी.एस.येदियुरप्पा-भाजपा,
एस.बंगरप्पा-जेडी एस.
 और जे.एच.पटेल-जे.डी. यू।
इस देश में संभवतः ऐसा दूसरी बार हो रहा है कि तीन पूर्व मुख्य मंत्रियों के पुत्र एक ही लोक सभा चुनाव क्षेत्र में एक दूसरे के खिलाफ  लड़ रहे हैं।
इससे पहले 2004 में हरियाणा के  भिवानी लोक सभा क्षेत्र में 
भजन लाल,बंसी लाल और ओ.प्र.चैटाला के पुत्र आपस में भिड़े थे।उनके नाम थे क्रमशः कुलदीप बिशनोई,सुरेंद्र सिंह और अजय चैटाला।
अब सवाल है कि सिमोगा क्षेत्र का कोई राजनीतिक कार्यकत्र्ता किस उम्मीद में उस क्षेत्र में सक्रिय होगा ?
उसे तो अब लोक सभा का टिकट मिलेगा नहीं।
  हां,एक उम्मीद में कार्यकत्र्ता जरूर इन दलों से जुड़ सकते हंै।
उन्हें सांसद फंड की ठेकेदारी जरूर मिल सकती है।
पर, आखिर इस उपाय से  कितने कार्यकत्र्ता मिलेंगे ?
 फंड की रकम तो अभी सालाना 5 करोड़ रुपए मात्र  है।
कोई बात नहीं,केंद्र में जब अगली सरकार बनेगी तो केंद्र सरकार 5 से बढ़ा कर 25 करोड़ तो कर ही सकती है।ऐसी सिफरिश संसदीय समिति कर भी  चुकी है।हालांकि कुछ हलकों से मांग 50 करोड़ रुपए की भी उठी है।
फिर तो ठेकेदार-सह कार्यकत्र्ता-सह-बाहुबली की भला कहां कमी रह जाएगी ! ? 
कुछ लोग पूछते हैं कि क्या किसी नेता के पुत्र को चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है ?
अब तो सवाल यह है कि क्या आम राजनीतिक कार्यकत्र्ता को चुनाव लड़ने का अधिकार बचा हुआ है ? कम से कम सिमोगा में ?
डायनेस्टिक डेमोक्रेसी जिंदाबाद !

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