गरमी के कारण उत्पन्न जल वाष्प ऊपर उठ कर
आकाश में जाकर फैलता है।
फिर जब धरती को जरूरत होती है तो वह जल कणों में परिवत्र्तित होकर धरातल पर बरसता है।
कल्याणकारी सरकारों को भी चाहिए कि वे इसी तरह उचित कराधान की गरमी पैदा कर ईमानदारी से राजस्व वसूले।
फिर जनता की जरूरतों के अनुसार उसे उसके राहत व विकास मदों में उदारतापूर्वक खर्च की बरसात करे ।
चूंकि प्रकृति इस काम में ढिलाई नहीं करती,इसीलिए
यह संसार चल रहा है।
उसी तरह सरकारें भी कोई कमजोरी न दिखाए अन्यथा एक दिन ..............।
आकाश में जाकर फैलता है।
फिर जब धरती को जरूरत होती है तो वह जल कणों में परिवत्र्तित होकर धरातल पर बरसता है।
कल्याणकारी सरकारों को भी चाहिए कि वे इसी तरह उचित कराधान की गरमी पैदा कर ईमानदारी से राजस्व वसूले।
फिर जनता की जरूरतों के अनुसार उसे उसके राहत व विकास मदों में उदारतापूर्वक खर्च की बरसात करे ।
चूंकि प्रकृति इस काम में ढिलाई नहीं करती,इसीलिए
यह संसार चल रहा है।
उसी तरह सरकारें भी कोई कमजोरी न दिखाए अन्यथा एक दिन ..............।
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