पूर्ण तो कोई भी नहीं है। न व्यक्ति, न पार्टी, न नेता और न विचारधारा। न मैं और न आप ! कुछ लोग इससे अलग समझ रहे हों तो उनसे मेरी कोई बहस नहीं है। समझने की उन्हें पूरी आजादी है। अपने देश में अपवादों को छोड़कर हर चुनाव में अधिकतर मतदातागण कम नुकसानदेह और अपेक्षाकृत अधिक जन कल्याणकारी दलों व नेताओं को ही चुनते रहे हैं। ध्यान रहे, अधिकतर मतदातागण, सारे मतदाता नहीं। पर अधिकतर मतदातागण ही निर्णायक होते हैं।
इन दिनों हर कोई यही सवाल पूछ रहा है, ‘अगले चुनावों में कौन जीतेगा? जवाब यह है कि अगले विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में भी सामान्यतः वही होने जा रहा है।
इन दिनों हर कोई यही सवाल पूछ रहा है, ‘अगले चुनावों में कौन जीतेगा? जवाब यह है कि अगले विधानसभा व लोकसभा के चुनाव में भी सामान्यतः वही होने जा रहा है।
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