मंगलवार, 12 नवंबर 2019


पटना के गांधी सेतु पर जाम में जब बड़े नेता फंसे
तभी धृतराष्ट्र बने पुलिस अफसरों की आंखें खुलीं।
नतीजतन सेतु पर सुशासन का चीर हरण कर रहे 
45 पुलिसकर्मी निलंबित हुए।
गांधी सेतु से गुजरने
वाली पूरी आबादी जानती है कि 
वहां कैसे -कैसे दुःशासन तैनात रहते हैं।
क्योंकि आम जनता तो रोज ही एक तरफ भीषण जाम में घंटों फंसी रहती है तो दूसरी ओर लोगों की आंखें के सामने वसूली करके प्रतिबंधित वाहनों को पास कराया जाता है।
500 से 1000 रुपए तक प्रति वाहन !
इतनी बड़ी आय न जाने कितने अफसरों -नेताओं को धृतराष्ट्र बना दे !
 अब देखना है कि कब किन्हीं स्वजातीय या फिर हिस्सेदार  नेताओं -अफसरों की पैरवी पर इन 45 निलंबितों के निलंबन उठ जाते हैं !
फिर चीर हरण शुरू होने में कोई देर नहीं लगेगी।
2018 में भी ऐसे ही चीर हरण के आरोप में एस.एस.पी.मनु महाराज ने दो थानेदारों सहित 55 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया था।
उन निलंबनों पर आगे की कौन सी कार्रवाई हुई ?
किसी को कोई सजा मिली ?
मिली होती तो एक बार फिर 45 को निलंबित क्यों करना पड़ता ?
फाॅलो अप के लिए संवाददाताओं को कहां फुर्सत रहती है !
उन पर रोज-बरोज के काम का ही इतना अधिक बोझ  रहता है कि बेचारा संवाददाता और कितना कुछ करेगा ?
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कई दशक पहले की बात है।
कहीं पढ़ा था ।
क्राइम की  निरंतर व सटीक फाॅलो -अप रिपोर्टिंग के कारण ही दिल्ली के हिन्दुस्तान टाइम्स का सर्कुलेशन कभी आसमान छूने लग गया था।  

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