भष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में समदृष्टि जरूरी
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महाराष्ट्र को मिला दंे तो देश के पांच प्रमुख राज्यों में
भाजपा सत्ता में अब नहीं है।
कांग्रेस तथा कुछ अन्य गैर राजग दलों के नेताओं की यह शिकायत रही है कि मोदी सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना के तहत अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ
जांच एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है।
दूसरी ओर, प्रधान मंत्री और भाजपा कह रहे हंै कि ‘हम न खाएंगे और न खाने देंगे।’
सबूत के आधार पर कार्रवाइयां हो रही हैं।
मन मोहन सिंह के शासन काल में भी तो जांच एजेंसी के निशाने पर कई हस्तियां थीं।
तब जो निशाने पर थे,उनमें
मधु कोड़ा,
हरिनारायण राय,
ए.राजा,
कनिमोई,
दयानिधि मारन,
कलानिधि मारन,
सुरेश कलमाडी,
स्वामी रामदेव,
वाई.एस.जगनमोहन रेड्डी,
जी.जर्नादन रेड्डी,
और लक्ष्मीकांत शर्मा प्रमुख थे।
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इन दिनों जो हस्तियां जांच एजेंसी के निशाने पर हैं,उनमें
सोनिया गांधी,
राहुल गांधी,
राबर्ट वाड्रा,
पी.चिदंबरम,
कार्ति चिदंबरम,
नलिनी चिदंबरम,
अहमद पटेल,
भूपेंद्र सिंह हुड्डा,
मोतीलाल वोरा,
बी.के.शिव कुमार,
शरद पवार,
प्रफल्ल पटेल,
अखिलेश यादव,
आजम खान,
मायावती,
मदन मित्र,
कुणाल घोष,
लालू प्रसाद,
राबड़ी देवी,
तेजस्वी यादव,
मीसा भारती,
छगन भुजबल,
नवीन जिंदल,
डी.एन.राव,
फारुक अब्दुल्ला,
रतुल पुरी,
अशोक गहलोत,
सचिन पायलट,
शंकर सिंह बाघेला,
ओम प्रकाश चैटाला,
विजय सिंगला,
हरीश गहलोत,
के.डी.सिंह,
वीरभद्र सिंह,
बाबा सिद्दीकी,
राज ठाकरे,
वाई.एस.चैधरी,
प्रमुख हैं।
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नामों की सूची इंडिया टूडे से साभार
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पक्ष-विपक्ष की सूची पर यदि पक्ष -विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
परस्पर विरोधी रही हैं,तो वह स्वाभाविक ही है।
पर आम लोगों की राय रही है कि चाहे जिस दल का नेता हो,यदि उस पर कार्रवाई को अदालतें पहली नजर में उचित मानती हैं तो वैसी कार्रवाई होनी ही चाहिए।
क्योंकि भीषण भ्रष्टाचार के कारण ही इस देश में भीषण गरीबी-भुखमरी
आजादी के 72 साल बाद भी कायम है।
देश की रक्षा के लिए जितने अधिक आधुनिक हथियार खरीदने की जरूरत हैं,उसके लिए भारत सरकार के पास पैसे नहीं हैं।
फिर भी हमारे देश के अनेक नेता सत्ता पाकर देश को चंगेज खान की तरह लूटते रहते हैं और देश-विदेश में अपनी बड़ी -बड़ी संपत्ति खड़ी करते रहते हैं।
अधिकतर नेताओं की संपत्ति दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ती ही जा रही है।
कांग्रेसियों पर कार्रवाई हो तो कांग्रेसी कहते हैं कि भाजपा नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है ?
भाजपा नेताओं पर कार्रवाई हो तो भाजपाई कहते हैं कि कांग्रेसियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
अब पांच प्रमुख राज्यों की सत्ता में भाजपा नहीं है।
वहां के कुछ भाजपाइयों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं या नहीं ?
आमलोग यही चाहते हैं कि उन पांच राज्यों की गैर भाजपा सरकारें उन भाजपाइयों के खिलाफ अपने राज्य की जांच एजेंसी को लगा दे,यदि आरोप हांे तो।
यदि उससे काम न चले तो केंद्रीय जांच एजेंसियों को लगाने के लिए अदालत की शरण ले । सुब्रह्मण्यम स्वामी शरण लेकर यह काम करते रहे हैं।
यदि राजग विरोधी दल या सरकार ऐसा नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि उनके द्वारा शासित राज्यों में कोई भाजपाई भ्रष्ट नहीं है।
पर, यदि वहां भी भ्रष्ट मौजूद है ,फिर भी कार्रवाई नहीं होगी तो यह माना जाएगा कि गैर भाजपा सरकारें या उनके नेतागण भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं हैं।
उसकी चिंता सिर्फ यही है कि उसके अपने भ्रष्ट नेताओं पर मोदी सरकार कुछ न करे।
उसके बदले हम उनके नेताओं के खिलाफ कुछ नहीं करेंगे।
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महाराष्ट्र को मिला दंे तो देश के पांच प्रमुख राज्यों में
भाजपा सत्ता में अब नहीं है।
कांग्रेस तथा कुछ अन्य गैर राजग दलों के नेताओं की यह शिकायत रही है कि मोदी सरकार ने राजनीतिक बदले की भावना के तहत अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ
जांच एजेंसियों को सक्रिय कर दिया है।
दूसरी ओर, प्रधान मंत्री और भाजपा कह रहे हंै कि ‘हम न खाएंगे और न खाने देंगे।’
सबूत के आधार पर कार्रवाइयां हो रही हैं।
मन मोहन सिंह के शासन काल में भी तो जांच एजेंसी के निशाने पर कई हस्तियां थीं।
तब जो निशाने पर थे,उनमें
मधु कोड़ा,
हरिनारायण राय,
ए.राजा,
कनिमोई,
दयानिधि मारन,
कलानिधि मारन,
सुरेश कलमाडी,
स्वामी रामदेव,
वाई.एस.जगनमोहन रेड्डी,
जी.जर्नादन रेड्डी,
और लक्ष्मीकांत शर्मा प्रमुख थे।
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इन दिनों जो हस्तियां जांच एजेंसी के निशाने पर हैं,उनमें
सोनिया गांधी,
राहुल गांधी,
राबर्ट वाड्रा,
पी.चिदंबरम,
कार्ति चिदंबरम,
नलिनी चिदंबरम,
अहमद पटेल,
भूपेंद्र सिंह हुड्डा,
मोतीलाल वोरा,
बी.के.शिव कुमार,
शरद पवार,
प्रफल्ल पटेल,
अखिलेश यादव,
आजम खान,
मायावती,
मदन मित्र,
कुणाल घोष,
लालू प्रसाद,
राबड़ी देवी,
तेजस्वी यादव,
मीसा भारती,
छगन भुजबल,
नवीन जिंदल,
डी.एन.राव,
फारुक अब्दुल्ला,
रतुल पुरी,
अशोक गहलोत,
सचिन पायलट,
शंकर सिंह बाघेला,
ओम प्रकाश चैटाला,
विजय सिंगला,
हरीश गहलोत,
के.डी.सिंह,
वीरभद्र सिंह,
बाबा सिद्दीकी,
राज ठाकरे,
वाई.एस.चैधरी,
प्रमुख हैं।
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नामों की सूची इंडिया टूडे से साभार
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पक्ष-विपक्ष की सूची पर यदि पक्ष -विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
परस्पर विरोधी रही हैं,तो वह स्वाभाविक ही है।
पर आम लोगों की राय रही है कि चाहे जिस दल का नेता हो,यदि उस पर कार्रवाई को अदालतें पहली नजर में उचित मानती हैं तो वैसी कार्रवाई होनी ही चाहिए।
क्योंकि भीषण भ्रष्टाचार के कारण ही इस देश में भीषण गरीबी-भुखमरी
आजादी के 72 साल बाद भी कायम है।
देश की रक्षा के लिए जितने अधिक आधुनिक हथियार खरीदने की जरूरत हैं,उसके लिए भारत सरकार के पास पैसे नहीं हैं।
फिर भी हमारे देश के अनेक नेता सत्ता पाकर देश को चंगेज खान की तरह लूटते रहते हैं और देश-विदेश में अपनी बड़ी -बड़ी संपत्ति खड़ी करते रहते हैं।
अधिकतर नेताओं की संपत्ति दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ती ही जा रही है।
कांग्रेसियों पर कार्रवाई हो तो कांग्रेसी कहते हैं कि भाजपा नेताओं पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है ?
भाजपा नेताओं पर कार्रवाई हो तो भाजपाई कहते हैं कि कांग्रेसियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।
अब पांच प्रमुख राज्यों की सत्ता में भाजपा नहीं है।
वहां के कुछ भाजपाइयों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं या नहीं ?
आमलोग यही चाहते हैं कि उन पांच राज्यों की गैर भाजपा सरकारें उन भाजपाइयों के खिलाफ अपने राज्य की जांच एजेंसी को लगा दे,यदि आरोप हांे तो।
यदि उससे काम न चले तो केंद्रीय जांच एजेंसियों को लगाने के लिए अदालत की शरण ले । सुब्रह्मण्यम स्वामी शरण लेकर यह काम करते रहे हैं।
यदि राजग विरोधी दल या सरकार ऐसा नहीं करते हैं तो यह माना जाएगा कि उनके द्वारा शासित राज्यों में कोई भाजपाई भ्रष्ट नहीं है।
पर, यदि वहां भी भ्रष्ट मौजूद है ,फिर भी कार्रवाई नहीं होगी तो यह माना जाएगा कि गैर भाजपा सरकारें या उनके नेतागण भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं हैं।
उसकी चिंता सिर्फ यही है कि उसके अपने भ्रष्ट नेताओं पर मोदी सरकार कुछ न करे।
उसके बदले हम उनके नेताओं के खिलाफ कुछ नहीं करेंगे।
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