मंगलवार, 26 नवंबर 2019

बटोहिया
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सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से,
मोरे प्राण बसे हिम खोह रे बटोहिया।
एक द्वार घेरे राम हिम कोतवलवा से,
तीन द्वार सिन्धु घहरावे रे बटोहिया।
जाऊ जाऊ भैया रे बटोही हिन्द देखि आउं,
जहवां कुहुकि कोइली बोले रे बटोहिया।
पवन सुगन्ध मन्द हमर गगनवां से,
कामिनी बिरह राग गावे रे बटोहिया।
विपिन अगम घन सघन अगन बीच,
चम्पक कुसुम रंग देवे रे बटोहिया।
द्रुम बट पीपल कदम्ब अम्ब नीम वृक्ष,
केतकी गुलाब फूल फूले रे बटोहिया।
तोता तूती बोले राम बोले  भेंगरेजवा से,
पपिहा के पी पी जिया साले रे बटोहिया।
सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से,
मोरे प्राण बसे गंगा धार रे बटोहिया।
गंगा रे जमुनवा के झममग पनिया से,
सरजू झमकी लहरावे रे बटोहिया।
ब्रह्मपुत्र पंचनद घहरत निसि दिन,
सोनभद्र मीठे स्वर गावे रे बटोहिया।
अपर अनेक नदी उमड़ी घुमरी नाचे,
जगन के जदुआ जगावे रे बटोहिया।
आगरा प्रयाग काशी दिल्ली कलकतवा से ,
मोरे प्राण बसे सरजू तीरे रे बटोहिया।
जाऊ जाऊ भैया रे बटोही हिन्द देखी आउं,
जहां ऋषि चारों वेद गावे रे बटोहिया।
सीता के विमल जस राम जस कृष्ण जस,
मोरे बाप दादा के कहानी रे बटोहिया।
व्यास बाल्मीकि ऋषि गौतम कपिल देव,
सुतल अमर के जगावे रे बटोहिया।
रामानुज रामानन्द न्यारी प्यारी रूपकला,
ब्रह्म सुख वन के भंवर रे बटोहिया।
नानक कबीर गौरी शंकर श्रीरामकृष्ण,
अलख के गतिया बतावे रे बटोहिया।
विद्यापति कालिदास सूर जयदेव कवि,
तुलसी के सरल कहानी रे बटोहिया।
सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा से,
मोरे प्राण बसे हिम खोह रे बटोहिया।
जाऊ जाऊ भैया रे बटोहि हिन्द देखि आऊं,
जहां सुख झूले धान खेत रे बटोहिया।
बुद्धदेव पृथु वीर अरजुन शिवाजी के,
फिरि फिरि हिम सुधि आवे रे बटोहिया।  
            ........रघुवीर नारायण 

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