मंगलवार, 5 नवंबर 2019

70 हजार करोड़ के घोटालेबाजों के प्रति नरमी क्यों ?
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आरोप है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस-एन.सी.पी.के शासन 
काल में 70 हजार करोड़ रुपए का सिंचाई घोटाला हुआ था।
 आज के अंग्रेजी दैनिक हिन्दू के अनुसार जब भाजपा-शिवसेना राज में उसकी जांच शुरू हुई तो पता चला कि सिंचाई विभाग के वरीय पदाधिकारियों के खिलाफ 7 एफ.आई.आर.दर्ज करने की जरुरत है।
  उसके लिए जल संसाधन विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटी्र की अनुमति चाहिए।
पिं्रसिपल सेंक्रेट्री साहब गत साल अगस्त से ही अनुमति लटकाए हुए हैं।दे ही नहीं  रहे हैं।
  पर, सवाल यह भी है कि देवेंद्र फड़नविस सरकार आखिर क्या कर रही है ?वह किस मर्ज की दवा है ?
70 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की जांच मंे भी 
इतनी सुस्ती ?
याद रहे कि जल संसाधन विभाग उन दिनों एन.सी.पी.नेता अजित पंवार के चार्ज में था। 
  यदि कोई खास अफसर अनुमति नहीं दे रहा है तो ऐसे अफसर को वहां तैनात क्यों नहीं करते जो जल्दी यह काम कर दे ?
क्या हरियाणा के अशोक खेमका और बिहार के के.के.पाठक जैसे अफसर महाराष्ट्र में नहीं हैं ?
   जब इस देश के घोटालेबाज सत्तासीन नेता घोटाला करने के लिए अफसर को बदल सकते हैं तो घोटालेबाजों को सजा दिलाने के लिए ऐसा क्यों नहीं हो सकता ?
याद रहे कि कई दशक पहले बिहार के एक सत्तासीन नेता ने अपने पुत्र को खान का पट्टा देने के लिए संबंधित जिले के डी.सी.,डी.एस.मुखोपाध्याय को वहां से हटा दिया और अपने अनुकूल अफसर को वहां बैठा दिया था।
  काम तुरंत हो गया।मुखोपाध्याय काम नहीं कर रहे थे।

    

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