शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की गलत व्याख्या


  
अयोध्या पर अपने ऐतिहासिक फैसले में 9 नवंबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 
‘‘ए.एस.आई.की रिपोर्ट से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि विवादास्पद ढांचे के नीचे मिले अवशेष इस्लामिक मूल के नहीं थे।
अवशेष मंदिर के थे।
मस्जिद को खाली जमीन पर नहीं बनाया गया था।
यानी, वहां पहले से मंदिर था।
हालांकि ,ए.एस.आई. की रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं है कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर तोड़ा गया था या नहीं।’’
  बाबरी मस्जिद के समर्थक कुछ अतिवादी मुस्लिम नेतागण इस अंतिम पंक्ति को लेकर यह जिद कर रहे हैं कि राम मंदिर को तोड़ कर बाबरी मस्जिद नहीं बनाई गई,ऐसा सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है।
 अरे भई, सुप्रीम कोर्ट इतना ही तो कह रहा है कि ए.एस.आई.की रिपोर्ट में तोड़कर बनाने का जिक्र नहीं है।
  यदि ए.एस.आई. को उसका सबूत नहीं मिला तो इसका क्या मतलब है ?
क्या मंदिर की जगह बाबरी मस्जिद किसी जादू-टोने  से बन गया ?
किसे दिग्भ्रमित कर रहे हैं आपलोग ?
सुप्रीम कोर्ट के इससे पहले के  वाक्य को क्यों नजरअंदाज कर रहे हैं कि 
‘‘मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाया गया था।यानी वहां पर पहले मंदिर था।’’
  किस तरह सदियों से मंदिरों को तोड़- तोड़ कर मस्जिदें बनाई गई हैं,इसके अनेक सबूत जहां -तहां बिखरे पड़े हैं।
वे बातें पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों की
जुबान पर रही  हैं।
   उसके कारण जो कटुता है,उसे कम करने या दूर करने का अवसर सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय दे रहा है।
उसका लाभ उठाइए।
 दोनों समुदायों के अधिकतर लोग कटुता खत्म करके शांतिपूर्ण जीवन बिताने व तरक्की करने के पक्षधर हैं।
काशी का ज्ञानव्यापी मस्जिद वाला सबूत तो कोई भी व्यक्ति गुगल पर आज भी देख सकता है ।
  ऐसे ही कारणों से इस देश के अधिकांश मुस्लिम समाज सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट से राहत महसूस कर रहे  हंै और आगे कोई विवाद खड़ा करने के पक्ष में नहीं हंै।
यहां तक कि दिल्ली के जामा मस्जिद के इमाम बुखारी तक इसी राय के हैं।
  यदि किसी को इस बात पर फिर भी शक है कि अतिवादी मुस्लिम जमात मंदिरों के बारे में क्या राय रखती रही  है,वे निम्नलिखित फोटोकाॅपी में दर्ज बयान को पढ़ लें।
  यह फोटोकाॅपी 30 सितंबर 2001 के ‘टाइम्स आॅफ इंडिया’ का है।
उसमें सिमी के अहमदाबाद जोन के सेके्रट्री साजिद मंसूरी 
का बयान छपा है।
साजिद ने कहा है कि ‘‘जब कभी हम सत्ता में आएंगे तो हम सारे मंदिरों को ध्वस्त करके वहां मस्जिद बनाएंगे, चाहे वे मंदिर सोने के ही क्यों न बने हों।’’
  क्या ऐसी सोच सिर्फ साजिद की है ?
या ऐसी सोच सदियों से परंपरा में चली आई है ?
ऐसी ही सोच के कारण आज भाजपा सत्ता में है।
यदि अयोध्या विवाद को आगे खींचा जाएगा तो भाजपा की चुनावी राह आसान होती चली जाएगी।
अब सिमी के बारे में कुछ बातंे।
सिमी पर जब प्रतिबंध लगा था तो उस संगठन के कुछ लोगों ने इंडियन मुजाहिद्दीन बना लिया।
केरल में जब अतिवादी संगठन ‘पोपुलर फं्रट आॅफ इंडिया’ का गठन हुआ तो केरल सरकार  
ने कहा कि इसके पीछे सिमी के लोगों का हाथ है।
  

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