1978 में प्रकाशित ‘इंडियन नेशन’ की इसी खबर ने डा.वशिष्ठ नारायण सिंह की बीमारी,तंगहाली और बेबसी की ओर बिहार सरकार तथा लोगों का ध्यान पहली बार खींचा था
...........................................................
अमेरिका के कोलम्बिया गणित संस्थान के निदेशक रह चुके
डा.वशिष्ठ नारायण सिंह भोजपुर जिले के अपने गांव बसंत पुर में भीषण तंगहाली में निराश जीवन बिता रहे थे कि पटना के अंग्रेजी दैनिक इंडियन नेशन ने उनकी दुर्दशा पर पहले पेज पर यह खबर छापी।
2 फरवरी, 1978 को प्रकाशित उस खबर ने तत्कालीन मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर का ध्यान खींचा।
उन्होंने डा.वशिष्ठ नारायण सिंह को रांची के मनो चिकित्सक डा.डेविस के किशोर नर्सिंग होम में सरकारी खर्चे पर इलाज शुरू कराया।
कर्पूरी ठाकुर और राम सुंदर दास के मुख्य मंत्रित्वकाल तक तो इलाज का पैसा सरकार देती रही।
पर डा.जगन्नाथ मिश्र के मुख्य मंत्री बनते ही डा.वशिष्ठ को कांके के सरकारी मानसिक आरोग्यशाला में भत्र्ती करा दिया गया।
वहां की बदतर चिकित्सा व देखरेख से ऊबकर वशिष्ठ के परिजन उन्हें घर ले आए। बाद की कहानी तो अब आ चुकी है।
...........................................................
अमेरिका के कोलम्बिया गणित संस्थान के निदेशक रह चुके
डा.वशिष्ठ नारायण सिंह भोजपुर जिले के अपने गांव बसंत पुर में भीषण तंगहाली में निराश जीवन बिता रहे थे कि पटना के अंग्रेजी दैनिक इंडियन नेशन ने उनकी दुर्दशा पर पहले पेज पर यह खबर छापी।
2 फरवरी, 1978 को प्रकाशित उस खबर ने तत्कालीन मुख्य मंत्री कर्पूरी ठाकुर का ध्यान खींचा।
उन्होंने डा.वशिष्ठ नारायण सिंह को रांची के मनो चिकित्सक डा.डेविस के किशोर नर्सिंग होम में सरकारी खर्चे पर इलाज शुरू कराया।
कर्पूरी ठाकुर और राम सुंदर दास के मुख्य मंत्रित्वकाल तक तो इलाज का पैसा सरकार देती रही।
पर डा.जगन्नाथ मिश्र के मुख्य मंत्री बनते ही डा.वशिष्ठ को कांके के सरकारी मानसिक आरोग्यशाला में भत्र्ती करा दिया गया।
वहां की बदतर चिकित्सा व देखरेख से ऊबकर वशिष्ठ के परिजन उन्हें घर ले आए। बाद की कहानी तो अब आ चुकी है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें