रविवार, 10 नवंबर 2019

यह केवल भारत जैसे स्वाभाविक रूप से धर्म निरपेक्ष देश में ही संभव है कि देश की 80 प्रतिशत बहुसंख्यक आबादी अपनी आस्था के केंद्र पर निर्णय के लिए 70 वर्षों तक प्रतीक्षा कर सकती है।
  धार्मिक सहिष्णुता पर भारत को भाषण देने वाले पश्चिमी देशों को खुद अपने अतीत पर गौर करना चाहिए।
                         -----  मिन्हाज मर्चेंट 

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