शनिवार, 9 नवंबर 2019

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय किसी की हार या किसी की जीत नहीं है।
यह निर्णय इस देश की एकता-अखंडता के पक्ष में हैं।
गंगा-जमुनी संस्कृति के हक में है।
 राम का मंदिर बनेगा तो वह मर्यादा पुरूषोत्तम का मंदिर होगा।
जिन्होंने धोबी के कहने पर पत्नी को घर से दूर कर दिया था।
जिन्होंने शबरी के बेर खाए थे।
यानी वे बिना किसी भेदभाव के अपनी  प्रजा को समान नजर से देखते थे। 
मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार-योगी सरकार को चाहिए कि वे न सिर्फ मस्जिद के लिए पांच एकड़ अच्छी जमीन का शीघ्र प्रबंध करें बल्कि अल्पसंख्यकों की आर्थिक समस्याओं को भी हल करने की दिशा में ठोस पहल करें।
 उसे तुष्टिकरण मानने की अपनी पुरानी नीति छोड़ें।
 उम्मीद है कि इस निर्णय के बाद अब किसी भी पक्ष के अतिवादी तत्वों को ‘राजनीति’ करने का कोई अवसर आम जनता नहीं देगी।



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