कल शाम जब मैं टहलने निकला तो देखा कि कोरजी गांव
में नहर पर पुलिया बन कर तैयार है।
कल ही राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने उस पुलिया का उद्घाटन किया।
यह पुलिया मेरे घर से करीब सौ मीटर पर ही है।
कोरजी सेवा संघ के ऊर्जावान नौजवानों ने किसी सरकारी मदद के बिना श्रमदान से दस दिनों में ही पुलिया बना दिया।
इससे कुछ ही साल पहले इसी कोरजी गांव के बुजुर्गों ने अपने गांव को एन.एच.-98 से जोड़ने के लिए मिट्टी की सड़क बनवा दी थी, आपसी सहयोग से।
उस मिट्टी की सड़क को पक्की बनाने में अब भी शासन की कोई रूचि नहीं है।
कल जहां पुलिया बन कर तैयार हुई ,वहीं से नहर पार करके मैं अक्सर सैलून में पहुंचता रहा हूं।
अब तक बिजली के दो पोल को आसपास सटाकर वहां पुल का काम लिया जाता रहा।
उस पोल से गुजरते समय मुझे हर दम आशंका रहती थी कि नहर में अब गिरा, तो तब गिरा !!
पर,नौजवानों ने अब मेरा वह भय समाप्त कर देने का स्थायी प्रबंध कर दिया।
पुल बनाने से पहले उन लोगों ने मुझसे कोई चंदा भी नहीं लिया।
वे मांगते तो अपनी हैसियत के अनुसार खुशी -खुशी दे देता।
उससे पहले मिट्टी की सड़क के लिए भी चंदा नहीं मांगा था।
फिर भी मैंने अपने पड़ोसी आर.एन.सिंह के साथ जाकर कुछ पैसे दे दिए थे।
कोरजी गांव पटना जिले के फुलवारी शरीफ अंचल की भुसौला दाना पुर ग्राम पंचायत में है।
इसी पंचायत में पटना एम्स भी अवस्थित है।
पर, इसके आसपास की सड़कों की हालत अब भी जर्जर है।
कोरजी गांव सिर्फ 700 मीटर दूर स्थित एन.एच.से भी अब तक नहीं जोड़ा जा सका है।
जिस ग्रामीण सड़क पर कोरजी गांव स्थित है,वह सड़क सरारी रेलवे क्राॅसिंग से शुरू होकर जमालुदद्दीन चक होते हुए चकमुसा में एन.एच.-98 में मिलती है।
इस मात्र चार किलोमीटर सड़क का भी मरम्मत-चैड़ीकरण हो जाता तो एम्स पहुंचने वालों को भी सुविधा मिलती।
पर,इस ओर राज्य सरकार का ध्यान जाना अभी बाकी है।
याद रहे कि खगौल, कोरजी गांव का निकटत्तम बाजार है। खगौल से आर्यभट्ट का भी नाम जुड़ा हुआ है।
सुरेंद्र किशोर--18 नवंबर 2019
में नहर पर पुलिया बन कर तैयार है।
कल ही राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने उस पुलिया का उद्घाटन किया।
यह पुलिया मेरे घर से करीब सौ मीटर पर ही है।
कोरजी सेवा संघ के ऊर्जावान नौजवानों ने किसी सरकारी मदद के बिना श्रमदान से दस दिनों में ही पुलिया बना दिया।
इससे कुछ ही साल पहले इसी कोरजी गांव के बुजुर्गों ने अपने गांव को एन.एच.-98 से जोड़ने के लिए मिट्टी की सड़क बनवा दी थी, आपसी सहयोग से।
उस मिट्टी की सड़क को पक्की बनाने में अब भी शासन की कोई रूचि नहीं है।
कल जहां पुलिया बन कर तैयार हुई ,वहीं से नहर पार करके मैं अक्सर सैलून में पहुंचता रहा हूं।
अब तक बिजली के दो पोल को आसपास सटाकर वहां पुल का काम लिया जाता रहा।
उस पोल से गुजरते समय मुझे हर दम आशंका रहती थी कि नहर में अब गिरा, तो तब गिरा !!
पर,नौजवानों ने अब मेरा वह भय समाप्त कर देने का स्थायी प्रबंध कर दिया।
पुल बनाने से पहले उन लोगों ने मुझसे कोई चंदा भी नहीं लिया।
वे मांगते तो अपनी हैसियत के अनुसार खुशी -खुशी दे देता।
उससे पहले मिट्टी की सड़क के लिए भी चंदा नहीं मांगा था।
फिर भी मैंने अपने पड़ोसी आर.एन.सिंह के साथ जाकर कुछ पैसे दे दिए थे।
कोरजी गांव पटना जिले के फुलवारी शरीफ अंचल की भुसौला दाना पुर ग्राम पंचायत में है।
इसी पंचायत में पटना एम्स भी अवस्थित है।
पर, इसके आसपास की सड़कों की हालत अब भी जर्जर है।
कोरजी गांव सिर्फ 700 मीटर दूर स्थित एन.एच.से भी अब तक नहीं जोड़ा जा सका है।
जिस ग्रामीण सड़क पर कोरजी गांव स्थित है,वह सड़क सरारी रेलवे क्राॅसिंग से शुरू होकर जमालुदद्दीन चक होते हुए चकमुसा में एन.एच.-98 में मिलती है।
इस मात्र चार किलोमीटर सड़क का भी मरम्मत-चैड़ीकरण हो जाता तो एम्स पहुंचने वालों को भी सुविधा मिलती।
पर,इस ओर राज्य सरकार का ध्यान जाना अभी बाकी है।
याद रहे कि खगौल, कोरजी गांव का निकटत्तम बाजार है। खगौल से आर्यभट्ट का भी नाम जुड़ा हुआ है।
सुरेंद्र किशोर--18 नवंबर 2019
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें