शनिवार, 23 नवंबर 2019

जब कोई डकैत पकड़ा जाता है तो क्या वह पुलिस से कहता है कि हमें जेल भेजने से पहले मेरे परिवार के लिए ‘सरकारी पेंशन’ की व्यवस्था कर दो  ?
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 क्या सरकारी जमीन -नाले-आहर पर कब्जा कर लेना डकैती से कम है ?
फिर उजाड़ने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था की मांग क्यों ?
जल -जमाव से पटना के लोगों की पिछली दुर्दशा भूल गए ?
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यदि आपके घर से आपसे पूछे बिना एक तिनका भी
कोई उठाकर ले जाए तो आपको गुस्सा आता है।
पर,सरकार की जमीन पर जहां जो चाहे , बस जाते हैं।
दुकान खोल लेते हैं।
  नाला-नाली आहर-पइन पर नाजायज कब्जा कर लेते हैं।
नाला-नाली जाम के कारण इसी बरसात में पटना के लाखों लोगों को अपार कष्ट हुआ।
तब अनेक लोगों ने सरकार-नगर निगम को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
ठीक ही किया।क्योंकि शासन की अनदेखी या साठगांठ से ही  कोई सरकारी जमीन पर कब्जा करता है।
 अब नालों आदि पर से जब शासन अतिक्रमण हटाने का काम सफलतापूर्वक कर रहा है तो कुछ नेताओं को गरीबों की याद आ रही है।
  कह रहे  हैं कि वैकल्पिक व्यवस्था के बिना किसी को मत उजाड़ो।
  अब बताइए, जितने लोगों ने जबरन सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है, उन सबके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करना किसी भी सरकार के बूते की बात है ?
  चोरी -डकैती करने वाले अधिकतर अपराधी गरीब पृष्ठभूमि के ही होते हैं।
यदि उनमें से कोई पकड़ा जाता है तो क्या वह पुलिस से कहता है कि हमें जेल भेजने से पहले मेरे परिवार के गुजारे  की व्यवस्था कर दो ? 
   क्या सरकारी जमीन पर कब्जा डकैती से कम है ? 
23 नवंबर 2019
   

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