भ्रष्टाचार में कमी और सद्व्यवहार से मजबूत होंगे सार्वजनिक उपक्रम--सुरेंद्र किशोर
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पिछले दिनों मैं पटना स्थित दूर संचार आॅफिस गया था।
वहां अपने बड़े साइज के मोबाइल सीम को छोटे साइज में बदलवाना था।
जरुरी था,इसलिए गया अन्यथा किसी सरकारी दफ्तर में जाने से अक्सर बचता रहा हूं।
क्योंकि अधिकतर सरकारी आॅफिस खराब व्यवहार के लिए जाने जाते हैं।कुछ और के लिए भी।
पर,उस दिन नजारा बदला हुआ था।
मुख्य गेट से प्रवेश करते ही छोटे-छोटे शामियाने के नीचे बैठे कई लोग मिले।
बी.एस.एन.एल.ने अपने कुछ काम उन्हें ‘आउटसोर्स’ कर
दिए हंै।
देखते ही वे मुझे भइया-चाचा कहने लगे।
उन्होंने मेरा काम भी तुरंत कर दिया।
मेरे पास 1983 से टेलीफोन रहा।अब नहीं है।
कुछ समय के लिए मैंने ब्राॅडबैंड सेवा भी ली थी।
पर बी.एस.एन.एल.से मेरा अनुभव बहुत खराब रहा।
एक- एक कर सब छूटता गया।
पर, उसका मोबाइल फोन अब भी मेरे पास है।
ऐसे ही कारणों से यह जरुरी सार्वजनिक सेवा भी घाटे में चली गई।
अब सरकार 80 हजार कर्मचारियों को वी.आर.एस.देने की तैयारी में हैं।सैलरी बिल आधा जो करना है।
एम.टी.एन.एल.और बी.एस.एन.एल.को घाटे से उबारने की यह भी एक कोशिश है।दोनों का विलय हो रहा है।
देश की सुरक्षा के हित में भी संचार सेवा सरकार के हाथों में ही रहे ,इसके लिए जरुरी है कि इसके अफसर और कर्मचारी अपनी कार्य शैली बदलें ।
वे अपनी ‘ड्यूटी’ को अपनी ‘जमींदारी’ न समझें।
निजी संचार सेवाओं के कर्मियों की व्यवहार कुशलता से सीखें।
हालंाकि बी.एस.एन.एल. और एम.टी.एन.एल.के सारे अफसर और कर्मी रुखे व्यवहार वाले ही नहीं हैं।
कई अन्य सार्वजनिक उपक्रमों पर भी यह बात लागू होती है।
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ज्यादतियों के साथ-साथ
पुलिस की पीड़ा भी देखिए
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में कहा कि इस देश के 90 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को रोज 12 घंटे से अधिक ड्यूटी करनी पड़ रही है।
उनकी अधिकतर साप्ताहिक छुट्टियां भी रद हो जाया करती हैं।
पुलिसकर्मियों की संख्या में भारी कमी के कारण ऐसा हो रहा है।
पर गृहमंत्री ने आश्वासन दिया कि उनकी समस्याएं हल की जाएंगी।
अच्छा हुआ कि उन्होंने अपने कार्यकाल के शुरुआती महीनों में ही ऐसा आश्वासन दे दिया।
अब अगले साढ़े चार साल तक लोग उन्हें उनके इस आश्वासन की याद दिलाएंगे।उम्मीद की जानी चाहिए कि यह वादा पूरा होगा।
हो सकता है कि पुलिसकर्मियों की चिरपरिचित समस्या और बेहतर सेवा शत्तों की चिर लंबित मांग पूरी हो जाए।
पुलिसकर्मियों का एक ही पक्ष आम लोगों के बीच आता है।
वह नकारात्मक पक्ष है।पर उनकी समस्याओं को गृहमंत्री ने समझा है।
इस बीच समस्तीपुर से यह खबर आई कि छठ पूजा करने के लिए छुट्टी हेतु एक पुलिकर्मी को छठी मैया के नाम पर शपथ
लेनी पड़ी।
बेचारा अफसर भी क्या करें ?
छुट्टी मांगने वाले बहुत हैं,पर सबको छुट्टी दे दे तो आखिर ड्यूटी किससे करवाए।
कम ही लोगों का इस ओर ध्यान होगा कि पुलिस थाने में कभी ताला नहीं लगता।
वायु प्रदूषण के लिए
कौन कितना जिम्मेवार !
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वायु प्रदूषण के कारण भारत में 2017 में 12 लाख 40 हजार लोगों की जानें गई थीं।
यह संख्या बढ़ती ही जा रही है।
क्योंकि प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है।
ताजा खबर के अनुसार अब दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो रहा है ।क्योंकि प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
इस विषम स्थिति से निपटने के लिए दिल्ली सरकार लोगों के बीच 50 लाख मास्क बांटने जा रही है।
उधर हर साल सड़क दुर्घटनाओं के कारण भारत में मरने वालों की संख्या लगभग डेढ़ लाख है।
इन दोनों तरह की मौतों के कई कारण हैं।
पर,इस बात पर भी सोच-विचार होना चाहिए कि इसके लिए खुद हम कितने जिम्मेवार हैं।
जितना सुधार हम खुद में कर सकते हैं,उतना तो हो जाए !
भारी वर्षा से गांवों की
नई सड़कें भी क्षतिग्रस्त
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इस बार की भारी वर्षा ने शहरों में तबाही मचाई ही,गांवों की सड़कों को भी तहस-नहस कर दिया।
उनमें से कुछ सड़कों काम तो मरम्मत से ही चल जाएगा,पर कुछ अन्य का संभवतः पुनार्निर्माण करना पड़ेगा।उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस मद में राज्य सरकार को जरुरी आर्थिक मदद मुहैया कराएगी।
ऐसी ही एक सड़क है -दिघवारा-भेल्दी स्टेट हाईवे।
सारण जिले के उस इलाके के पिछड़ापन को देखते हुए कुछ ही साल पहले मुख्य मंत्री नीतीश कुमार ने उसे आर.ई.ओ. से हटा कर स्टेट हाईवे का दर्जा दिया था।उसका निर्माण भी ठीकठाक ही हुआ था।
पर इस बरसात ने उसे भारी क्षति पहुंचाई।उसकी दुर्दशा का एक बड़ा कारण यह रहा कि शीतलपुर पट्टी पुल के बंद होने के कारण उसी सड़क पर टै्रफिक का भारी बोझ पड़ गया।
अब देखना है कि राज्य की अन्य क्षतिग्रस्त सड़कों के साथ- साथ इस सड़क की मरम्मत का काम कितनी तेजी से हो पाता है।
और अंत में
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निर्माणाधीन खगौल - दानापुर आठ लेन सड़क को दरअसल आम लोगोंे के लिए छह लेन ही मानना चाहिए।
क्योंकि किनारे के दो लेन तो पार्किंग में ही निकल जाएंगे।
इस सड़क की दोनों ओर जो बहुमंजिली इमारतें बनी हैं या बन रही हैं,उनमें पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है।अपवादों की बात और है।ं
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