सोमवार, 11 नवंबर 2019

दिवंगत टी.एन.शेषन की याद में 
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चुनाव नियमों की किताब को मुख्य चुनाव आयुक्त 
टी.एन.शेषन ने आलमारी से निकाला।
उस पर पड़ी धूल को झाड़ा।
 उन्हें लागू करने की कोशिश की।
फिर तो धांधलीबाज नेताओं की नानियां मरने लगी थींं।
जार्ज बर्नार्ड शाॅ ने कहा था कि ‘‘सभी आत्म कथाएं 
झूठी होती हैं।’’
  नब्बे के दशक में टी.एन.शेषन ने भी बर्नार्ड शाॅ को सही ही साबित किया  था।
शेषन की जब जीवनी आई तो पूर्व कैबिनेट सचिव बी.जी.देशमुख ने उनकी कई बातों को झूठा ठहरा  दिया।
खैर जो हो,सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ढंग से टी.एन.शेषन ने
जितना प्रभावित किया,वह एक रिकाॅर्ड है।
वह रिकाॅर्ड टूटने वाला भी नहीं है।क्योंकि कोई सरकारी अफसर वैसा बन ही नहीं सकता।
शेषन ने एक बार कहा था कि ‘मैं अमिताभ बच्चन की तरह चर्चित हूं।’
शेषन कुछ भी बोल सकते थे।
पटना राज भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रंेस में मुख्य चुनाव आयुक्त से मैंने जब एक तीखा सवाल किया तो उन्होंने जवाब देने की जगह कहा कि ‘तुम पर मंगल ग्रह है।’
बगल में बैठे वरिष्ठ पत्रकार सीता शरण झा ने धीरे से कहा कि शेषन ज्योतिषी भी है।
खैर, तब बिहार में शेषन पर चालीसा भी लिखा गया।
जय प्रकाश क्रांतिकारी ने लिखा,‘
आए शेषन लेकर डंडा,
हो गए होश सभी के ठंडा।
शेषन है अति बजरंगी,
मतदाता के असली संगी।
अब चुनाव मंे मजा आएगा,
भ्रष्ट नेता चने चबाएगा।
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........................चालीसा लंबा है।
31 जनवरी 1994 को शेषन ने सरेआम यह कह दिया था कि ‘भारत का लोकतंत्र  धन, अपराध और भ्रष्टाचार के स्तम्भों पर खड़ा है।’
यह सुनकर जानकार व भुक्तभोगी लोग गदगद थे।
 1995 के बिहार विधान सभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्य मंत्री लालू प्रसाद से शेषन की टकराहट हो गई।
लालू को लगा था कि शेषन पिछड़ों की सरकार को हटवाना चाहता है।
लालू खर्चे के बहाने मतदाता पहचान पत्र को अव्यावहारिक बता रहे थे।
पर चुनाव नतीजे आने के बाद लालू ने शेषन को धन्यवाद दिया।
याद रहे कि लालू की पार्टी बहुमत से सत्ता में आ गई थी।
शेषन ने कमजोर वर्ग के लोगों को भी,जो तब लालू के मतदाता थे, मतदान करने का अवसर प्रदान किया।
शेषन ने अपनी अधिकृत जीवनी में तो सभी बातेंं सही नहीं लिखी हैं।
 यह अस्वाभाविक भी नहीं है।
मैंने तो जीवनियां कम ही पढी हंै।
पर बर्टेंड रसेल और बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह के अलावा ऐसी कोई जीवनी मेरी नजर से अभी नहीं गुजरी है जिसमें अपनी गलतियां-कमियां बताई गई हों।
 कोई निष्पृह होकर टी.एन.शेषन की जीवनी लिखें तो वह खूब बिकेगी।
पर, उसे राजीव गांधी की चमचागिरी से लेकर वह सारी बातें लिखनी पड़ंेगी जो घटित हुईं।
याद रहे कि असम में गलत ढंग से मतदाता बन जाने पर वित्त मंत्री मन मोहन सिंह के खिलाफ शेषन ने जांच शुरू कर दी थी।
        


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