क्या होता इस देश यदि सुप्रीम कोर्ट न होता ?
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क्या हाल होता इस देश का यदि सुप्रीम कोर्ट
नहीं रहा होता ? !!!
हमलोग एक बार फिर पाषाण युग में जा चुके होते।
वही जिंदा रहता जो सबसे ताकतवर होता !!
1975-77 के आपातकाल में इंदिरा गांधी सरकार के एटाॅर्नी जनरल नीरेन डे ने सुप्रीम कोर्ट को बता दिया था कि यदि स्टेट किसी की जान भी ले ले तौभी उसके खिलाफ अदालत की शरण नहीं ली जा सकती।
एक लाख से अधिक नेताओं -कार्यकत्र्ताओं-बुद्धिजीवियों को जेलों में ठूंस कर उन्हें अदालत की शरण में जाने से भी सरकार ने वचित कर दिया था।
4 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारें नागरिकों के जीने के अधिकार का हनन कर रही है।
चलिए सुप्रीम कोर्ट ने इमरजेंसी में तो मान लिया था कि इंदिरा सरकार को कानूनी प्रक्रिया के बिना भी किसी की जान ले लेने कव पूरा अधिकार है।
कल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘‘राज्य सरकारें लोगों को दिल्ली न आने की सलाह दे रही है।यह बर्दाष्त नहीं किया जाएगा।
सरकारों की जिम्मेवारी तय की जाएगी।
क्योंकि यह नागरिकों के जीने के अधिकार का हनन कर रही है।’’
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क्या हाल होता इस देश का यदि सुप्रीम कोर्ट
नहीं रहा होता ? !!!
हमलोग एक बार फिर पाषाण युग में जा चुके होते।
वही जिंदा रहता जो सबसे ताकतवर होता !!
1975-77 के आपातकाल में इंदिरा गांधी सरकार के एटाॅर्नी जनरल नीरेन डे ने सुप्रीम कोर्ट को बता दिया था कि यदि स्टेट किसी की जान भी ले ले तौभी उसके खिलाफ अदालत की शरण नहीं ली जा सकती।
एक लाख से अधिक नेताओं -कार्यकत्र्ताओं-बुद्धिजीवियों को जेलों में ठूंस कर उन्हें अदालत की शरण में जाने से भी सरकार ने वचित कर दिया था।
4 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकारें नागरिकों के जीने के अधिकार का हनन कर रही है।
चलिए सुप्रीम कोर्ट ने इमरजेंसी में तो मान लिया था कि इंदिरा सरकार को कानूनी प्रक्रिया के बिना भी किसी की जान ले लेने कव पूरा अधिकार है।
कल सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘‘राज्य सरकारें लोगों को दिल्ली न आने की सलाह दे रही है।यह बर्दाष्त नहीं किया जाएगा।
सरकारों की जिम्मेवारी तय की जाएगी।
क्योंकि यह नागरिकों के जीने के अधिकार का हनन कर रही है।’’
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