मुफस्सिल पत्रकार याद नहीं रहे केंद्र सरकार को
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भारत सरकार ने खेती से लेकर अखबार बेचने का काम
करने वालों तक को 3000 रुपए मासिक पेंशन देने का
निर्णय किया है।
इसके लिए रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो चुका है।
इस तरह 127 प्रकार के काम करने वालों को पेंशन की सुविधा मिलेगी।
यह ऐतिहासिक कदम है।
लगता है कि क्वात्रोचि व माल्या जैसे लुटेरों और उनके संरक्षकों की जेबों में जाने से सरकारी पैसे अब थोड़ा बच रहे हैं तो कमजोर वर्ग के लोगों की ओर सरकार ने ध्यान दिया है।
हालांकि ऐसी लूट अभी पूरी तरह रुकी नहीं है।रुकेगी तो पेंशन की राशि बढ़ेगी।
इस सिलसिले में भारत सरकार ने अखबार बेचने वालों को तो याद रखा,पर अखबार तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों को वह भूल गई।
मुफस्सिल संवाददाता और फ्रीलांस जर्नलिस्ट शोषित तबका है जिन पर शायद ही किसी का ध्यान जाता है।
जबकि, अखबार तैयार करने में ये भी उतनी ही महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं जितना लाखों रुपए का वेतन पाने वाले।
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भारत सरकार ने खेती से लेकर अखबार बेचने का काम
करने वालों तक को 3000 रुपए मासिक पेंशन देने का
निर्णय किया है।
इसके लिए रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो चुका है।
इस तरह 127 प्रकार के काम करने वालों को पेंशन की सुविधा मिलेगी।
यह ऐतिहासिक कदम है।
लगता है कि क्वात्रोचि व माल्या जैसे लुटेरों और उनके संरक्षकों की जेबों में जाने से सरकारी पैसे अब थोड़ा बच रहे हैं तो कमजोर वर्ग के लोगों की ओर सरकार ने ध्यान दिया है।
हालांकि ऐसी लूट अभी पूरी तरह रुकी नहीं है।रुकेगी तो पेंशन की राशि बढ़ेगी।
इस सिलसिले में भारत सरकार ने अखबार बेचने वालों को तो याद रखा,पर अखबार तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान देने वालों को वह भूल गई।
मुफस्सिल संवाददाता और फ्रीलांस जर्नलिस्ट शोषित तबका है जिन पर शायद ही किसी का ध्यान जाता है।
जबकि, अखबार तैयार करने में ये भी उतनी ही महत्वपूर्ण
भूमिका निभाते हैं जितना लाखों रुपए का वेतन पाने वाले।
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