शनिवार, 2 मार्च 2019

अमरीकी राजनीति विज्ञानी सैम्युल हंटिंगटन ने 
यह सिद्धांत प्रतिपादित किया था कि 
‘शीत युद्धोत्तर संसार में लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान संघर्षों का मुख्य कारण होगी।’
  पर, 57 इस्लामिक देशों का संगठन, हंटिंगटन की इस स्थापना को गलत सिद्ध करने की दिशा में  आगे बढ़ रहा है।
 इस संगठन के अबु धाबी में हुए कल के सम्मेलन में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज गेस्ट आॅफ आॅनर थीं।दूसरी ओर इस संगठन के संस्थापक सदस्य पाकिस्तान ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया।
  याद रहे कि पाकिस्तान उन इस्लामिक आतंकवादियों को पनाह देता रहा है जो पूरी दुनिया में अपने धर्म का शासन कायम करने के लिए मरने -मारने पर उतारू रहते हंै।
दूसरी ओर, भारत आतंकवाद से लड़ने वाले देशों में प्रमुख है और कह रहा है कि ‘हमारी लड़ाई आतंकवाद से है न कि किसी मजहब से।’
इस्लामिक देशों के संगठन ने धैर्यपूर्वक सुषमा स्वराज की इस बात को सुना। दुनिया को एक खास दिशा देने वाले इस अबु धाबी सम्मेलन के बाद अब देखना है कि इस संसार में आगे क्या होता है।
  यानी, अंततः इस दुनिया में मिलजुल कर रहने वालों की जीत होती है या जेहादियों की ?

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