रविवार, 17 मार्च 2019

राष्ट्र गान
-----
जन गण मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता 
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा 
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा 
उच्छल जलधि तरंग 
तव शुभ नामे जागे ,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा।
जन गण मंगल दायक जय हे 
भारत भाग्य विधाता !
जय हे,जये हे,जय हे,जय जय जय जय हे। 
---रवीन्द्र नाथ ठाकुर--1911
---------------------------
वैकल्पिक राष्ट्र गान--स्वीकृति के लिए प्रेषित 
--------------------------
जन गण मन अविराम ये गाहे
भारत वर्ष हमारा 
चहुं दिशि सुखद मनोरम श्यामल
धरनी धवल गिरि न्यारा 
गंग जमुन जल जीवन धारा
प्राण स्वदेश हमारा
सागर चरण पखारे
रागिनी मंगल गाहे
तिमिर मिटे तब सारा
जन गणतंत्र स्वतंत्र सुनिश्छल
भारतवर्ष हमारा
जय हे जये हे जय हे
जय जय जय जय हे
--रचयिता-कमलाकांत प्रसाद सिन्हा।
दुमका निवासी श्री सिन्हा अविभाजित बिहार की कर्पूरी ठाकुर सरकार में संसदीय सचिव थे।
उन्होंने इस वैकल्पिक राष्ट्र गान को मंजूरी के लिए अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा था जब वे प्रधान मंत्री थे। 


कोई टिप्पणी नहीं: