गुरुवार, 18 अक्तूबर 2018

मैं गत 9 अक्तूबर को लिखे अपने पोस्ट को एक बार फिर 
यहां प्रस्तुत कर रहा हूं।
तब मुझे उम्मीद थी कि एम.जे.अकबर  का जल्द ही इस्तीफा हो जाएगा।पर पता नहीं प्रधान मंत्री ने क्यों इतने दिन लगा दिए ?
2001 में तहलका मामला आने के बाद जार्ज फर्नांडिस से प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस्तीफा ले लिया था।
जबकि जो जानते हैं ,वे कभी जार्ज की ईमानदारी पर शक नहीं करते।
पर लोकतंत्र तो लोकलाज से चलता है।
याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जार्ज को बाद में निर्दोष घोषित कर दिया था।हालांकि बीच में ही जार्ज उसी साल दुबारा मंत्री बन गए थे।
हवाला कांड में नाम आने पर भाजपा ने आडवाणी जी और यशवंत सिन्हा से उनके पदों से इस्तीफा दिलवा दिया था।
  पर, अकबर साहब के मामले मे ंइतनी देरी पर उनके कई समर्थकों को भी प्रधान मंत्री की निर्णय प्रक्रिया को लेकर चिंता हुई।हो सकता है कि अदालत में अंततः अकबर साहब की जीत हो जाए,पर मंत्री रहते अदालती कार्यवाहियों की ‘सूचनाए’ं जब बाहर आतीं तो केंद्र सरकार की काफी फजीहत  होती।

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