मंगलवार, 30 अक्तूबर 2018

क्या अगले लोक सभा चुनाव में 2004 दुहराएगा ?
तब के लोक सभा चुनाव से  भाजपा ने ‘साइनिंग इंडिया’ 
के गुमान में राम विलास पासवान को राजग से ‘भगा’ दिया था, उनसे मलाईदार संचार मंत्रालय छीन कर।
नतीजतन केंद्र की सत्ता तब राजग के हाथों से निकल गयी थी।
1999 और 2004 के लोक सभा चुनावों के आंकड़ों को कोई  देख ले तो उसे समझ में आ जाएगा कि पासवान राजग में रहते तो एक बार फिर अटल जी प्रधान मंत्री होते।
पर चूंकि संचार मंत्रालय प्रमोद महाजन को चाहिए था,इसलिए राजग अपनी सत्ता ही गंवा बैठा।
  इस बार एक दो सीटों के लिए क्या भाजपा उपेंद्र कुशवाहा को भगाएगी ?
मैं यह तो नहीं कह रहा हूं कि कुशवाहा के चले जाने से 2019 में राजग को बिहार में पहले की अपेक्षा काफी कम सीटें मिलेंगी।पर भाजपा के लिए रिस्क तो है ही।
कुशवाहा पर एक -दो सीटें न्योछावर कर देने राजग का कुछ 
बिगड़ नहीं जाएगा।
पर, नहीं करने पर बिगड़ सकता है।क्योंकि 2014 की तरह आज मोदी लहर नहीं है।कल लहर चल ही जाएगी,यह कौन कह सकता है ? हां,देश में कुल मिला कर अभी मोदी का ‘अपर हैंड’ जरूर लग रहा हे।

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