एम.ओ.मथाई ने लिखा है कि
‘डुंगर पुर के महा रावल ने प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू को याद दिलाया कि उदय पुर का राज घराना जापान के राजवंश से पुराना है।
राजस्थान के सभी राजा, महाराणा को शाष्टांग नमस्कार करते हैं।जनता में उनका जितना मान है,वह तो भारत सरकार ने भी राज्यों के अधि मिलन के समय उनको देश का एकमात्र ‘महाराज प्रमुख’ बना कर स्वीकार किया था।
अंग्रेजी सरकार ने भी उनके विशिष्ट स्थान को स्वीकार कर उन्हें ब्रिटिश सम्राट जार्ज पंचम के दिल्ली दरबार में,जहां भारतीय राजाओं को अंग्रेज महाराजाधिराज के सामने झुक कर उन्हें नजराना देना पड़ा था,हाजिर होने से बरी कर दिया था।
महारावल ने प्रधान मंत्री से प्रार्थना की कि वह युवक महाराणा से प्रिवी पर्स कम करने के लिए न कहें,बल्कि जो कटौती हो चुकी है,उसे काफी हद तक पूरा कर दें।
प्रधान मंत्री नेहरू पर महा रावल के पत्र का काफी असर पड़ा।उन्होंने युवक महाराणा को दिल्ली आकर प्रधान मंत्री आवास में ठहरने और उनसे, राष्ट्रपति और गृह मंत्री से इतमिनान से बातें करने के लिए आमंत्रित किया।
युवा महाराणा दिल्ली आए।कई दिनों तक प्रधान मंत्री निवास में ठहरे।राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद और गृह मंत्री से मिले।उसके फलस्वरूप गृह मंत्रालय ने उनकी प्रिवी पर्स कुछ इस तरह बांध दी कि पूर्ववर्ती महाराणा के निधन से हुई आकस्मिक कटौती का बोझ हल्का हो जाए।
@मथाई 13 साल तक प्रधान मंत्री नेहरू के निजी सचिव रहे।उन्होंने सत्तर के दशक में अपने संस्मरणों की दो किताबें लिखीं जो काफी रोचक ,सूचनाप्रद व विवादास्पद रहीं।@
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