रविवार, 21 अक्तूबर 2018

गांधी,जेपी और लोहिया ने अपने -अपने ढंग से
ग्राम स्वराज की कल्पना की थी।
राजीव गांधी के शासन काल में बड़ी उम्मीद के साथ
73 वें संविधान संशोधन के साथ पंचायत स्वराज की स्थापना हुई।
पर आज अधिकतर ग्राम पंचायतों की मौजूदा स्थिति देख कर निराशा होती है।अपवादों की बात और है।
  बिहार में नियोजित शिक्षकों की बहाली का अधिकार मुखिया को दिया गया था।
उम्मीद की जाती थी कि मुखिया लोग अपने ही इलाके के स्कूलों में योग्य शिक्षक बहाल करंेगे ताकि उनके वोटर व उन लोगों के बाल -बच्चे सही शिक्षा पा सकें जिनके साथ मुखिया जी का रोज ही उठना -बैठना और  खाना -पीना होता है।
  पर इस बहाली को लेकर अधिकतर मुखिया ने मेरिट के बदले पैसे तथा कुछ अन्य बातों को प्रमुखता दी।
राज्य के नियोजित शिक्षकों के 96 हजार सर्टिफिकेट फोल्डर यूं ही नहीं गायब हुए हैं।
 वैसे अन्य मामलों में भी आज अधिकतर  ग्राम पंचायतों की कैसी भूमिका है,यह सब लोग देख ही रहे हैं। गांधी,लोहिया जेपी ने इस स्थिति की कल्पना तक नहीं की होगी।

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