सन 1988 में तत्कालीन मुख्य मंत्री भागवत झा आजाद ने
मध्य प्रदेश काॅडर के आई.पी.एस.अफसर एम.कुरैशी को
बिहार का डी.जी.पी.बनाया था।
यदि बिहार में ही ‘अपराधियों-माफियाओं के काल’ के रूप में काम करने वाले कोई आई.पी.एस.अफसर उपलब्ध हों तब तो ठीक ही रहेगा।यदि उपलब्ध नहीं हांे तो बिहार सरकार को चाहिए कि वह सन 1988 वाला प्रयोग करके देखे।कुरैशी साहब तो ज्यादा कड़क साबित नहीं हो सके थे।शायद अगली बार वाले साबित हों।
इस बार देश भर से किसी कड़क अफसर की तलाश कर लीजिए।
क्योंकि कम से कम मौजूदा डी.जी.पी के.एस.द्विवेदी के अवकाश ग्रहण के बाद तो कानून -व्यवस्था वैसा ही हो जाए जैसा 2005 के बाद के कुछ वर्षों तक था।
मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को चाहिए कि वे अपने इस यू.एस.पी.को तो किसी कीमत पर बनाए रखें।
मध्य प्रदेश काॅडर के आई.पी.एस.अफसर एम.कुरैशी को
बिहार का डी.जी.पी.बनाया था।
यदि बिहार में ही ‘अपराधियों-माफियाओं के काल’ के रूप में काम करने वाले कोई आई.पी.एस.अफसर उपलब्ध हों तब तो ठीक ही रहेगा।यदि उपलब्ध नहीं हांे तो बिहार सरकार को चाहिए कि वह सन 1988 वाला प्रयोग करके देखे।कुरैशी साहब तो ज्यादा कड़क साबित नहीं हो सके थे।शायद अगली बार वाले साबित हों।
इस बार देश भर से किसी कड़क अफसर की तलाश कर लीजिए।
क्योंकि कम से कम मौजूदा डी.जी.पी के.एस.द्विवेदी के अवकाश ग्रहण के बाद तो कानून -व्यवस्था वैसा ही हो जाए जैसा 2005 के बाद के कुछ वर्षों तक था।
मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को चाहिए कि वे अपने इस यू.एस.पी.को तो किसी कीमत पर बनाए रखें।
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