सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने 
इस माह सार्वजनिक रूप से यह आरोप लगाया कि
मेरे गवर्नर बनने से पहले तमिलनाडु में विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर पद पर बहाली के लिए करोड़ों रुपए हाथ बदलते थे।@इंडियन एक्सप्रेस-8 अक्तूबर 2018@
फरवरी में एक वाइस चांसलर कोयम्बतूर में घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार भी हुए थे।
देवानंद कुंवर जब बिहार के राज्यपाल थे तो कांग्रेस की  विधायक ज्योति ने सार्वजनिक रूप से उनसे यह सवाल पूछा था कि ‘वाइस चांसलर की बहाली में आपके यहां क्या रेट चल रहा है ?’याद रहे कि राज्यपाल विश्व विद्यालयों के चांसलर होते हैं।
उस खबर के बाद शायद लोगों को लगा होगा कि यह सिर्फ बिहार की ‘विशेषता’ है।पर तमिलनाडु की ताजा खबर से अधिक चिंता होती है।
यानी लगता है कि अपवादों को छोड़कर लगभग पूरे देश का यही हाल है।
जब वाइस चांसलर रिश्वत देकर अपना पद संभालेगा तो जाहिर है कि वह बाद में खुद रिश्वत वसूलेगा।फिर शिक्षा व परीक्षा का क्या होगा ?
वही होगा जो हो रहा है।मेडिकल-इंजीनियरिंग सहित देश में कितनी परीक्षाएं आज कदाचारमुक्त हो रही हैं ?
सुना है कि बिहार में नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी में कदाचार नहीं होता।पर ऐसे कितने अन्य संस्थान हैं ?
कैसे सुधरेगी देश की शिक्षा ? कौन सुधारेगा ? 

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